सूर्य सम्मोहन शक्ति ग्रह है, सारे ग्रह सूर्य की आकर्षण शक्ति से ही इसके चारो ओर परिक्रमा करते हैं। इस कारण से सूर्य ग्रहण के चैतन्य अवसर पर साधना सम्पन्न करने से सूर्य सहित सभी नवग्रहों से अनुकूलता प्राप्त होती है। व्यापार वृद्धि, नेतृत्व शक्ति और सफलता के लिये सूर्य को प्रमुख देव माना गया है। ग्रहण काल भौतिक जीवन के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण और फलदायी होता है। इस काल खण्ड में साधनात्मक क्रियाओं द्वारा साधक ब्रह्माण्डीय रश्मियों, चेतना से सीधा तादात्मय स्थापित कर उसकी चेतना स्वः के भीतर आत्मसात कर पाता है, जिससे गृहस्थ जीवन में कामना पूर्ति की चेतना की प्राप्ति होती है।
वस्तुतः ग्रहण काल में कोई भी साधना सम्पन्न कर उसका अक्षुण्ण लाभ प्राप्त किया जा सकता है, साथ ही अनेक विशिष्ट साधनाओं, क्रियाओं द्वारा साधक अपने जीवन में नये आयाम भी प्राप्त कर सकता है। जो सामान्य दिनों में दुर्लभ और कठिनाईयों से युक्त होता है। वहीं ऐसे विशिष्ट दिवसों पर साधक अनेक दुर्लभ स्थितियों को सरलता से प्राप्त कर लेता है।
वास्तव में यदि सांसारिक जीवन की सड़ी-गली स्थितियों से निवृत्ति प्राप्त कर विशिष्ट मनोरथ की पूर्ति की आकांक्षा व्यक्ति अपने जीवन में रखता है, तो उसे ग्रहण के चेतनावान क्षणों का पूरा उपयोग करना ही चाहिये। क्योंकि जीवन में श्रेष्ठ अवसर बार-बार प्राप्त नहीं होते, वह क्षण जो बीत गया, जिसका उपयोग आप जीवन की अनुकूल स्थितियों को सशक्त और दृढ़ बनाने में कर सकते हैं, यदि वह बीत गया, तो आप बहुत लम्बे समय के लिये यथास्थिति में ही रहेंगे।
एक विद्यार्थी यदि परीक्षा के समय किसी कारणवश परीक्षा में भाग नहीं ले पाता, तो उसे पुनः एक वर्ष परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है, कोचिंग, कालेज ज्वाइन करनी पड़ती है, और पूरे एक वर्ष उसे पुनः वही सब क्रियाओं में संलिप्त होना पड़ता है, जबकि वह यदि परीक्षा में भाग लेता, तो वह Next class में पहुंचकर उसकी तैयारी करता, अर्थात् वह एक वर्ष उसके पूरे जीवन पर प्रभाव डालता है, वह पूरे जीवन में एक वर्ष पीछे चला जाता है, और हो सकता है, उस एक वर्ष के कारण उसके हाथ से कोई सुनहरा अवसर, कोई ऐसा क्षण जो उसका जीवन बदल सकता था, उससे वह चूक जाये।
यही प्रक्रिया साधक पर भी लागू होती है और यदि वह उन चेतनावान क्षणों को चूक जाये, तो वह जहां 6 माह में पहुंच सकता है, उसके लिये 2-3 वर्ष और परिश्रम करनी पड़ेगी और कल क्या हो किसे पता, कल कैसी स्थिति बनेगी कौन जाने है।
वर्ष के प्रथम विशिष्ट पूर्ण सूर्य ग्रहण के शुभ अवसर पर जीवन की कालिमा, अंधकार व अनेक-अनेक कामनाओं इच्छाओं पर लगा हुआ दमन रूपी ग्रहण से मुक्ति हेतु इस दिव्य अवसर पर कैलाश नारायण धाम-दिल्ली सद्गुरुदेव के सानिध्य में साधना, दीक्षा व हवन की क्रियायें सम्पन्न होंगी।
केवल वे ही साधक इस अवसर पर आयें, जो वास्तव में गुरु निर्देशानुसार साधना करने के इच्छुक हो।
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