जीवन्त जाग्रत सद्गुरु के सानिध्य में शक्ति पर्व की दिव्य चेतना आत्मसात करना जीवन का अहोभाग्य है, क्योंकि सद्गुरु द्वारा सम्पन्न साधनात्मक चेतना अक्षुण्ण होती है। उनके मार्गदर्शन में सम्पन्न की गयी क्रियायें शीघ्र और अक्षय फल प्रदान करती हैं।
विराट नगर की धरा शक्ति उपासना के क्षेत्र में अग्रणी है और यहां की भूमि शक्ति उपासना से चैतन्य व शीघ्र फलप्रद है। कोसी नदी की पवित्र जल धारा और प्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त है। वास्तव में ऐसे दिव्य स्थल की चेतनावान भूमि पर सद्गुरुदेव की सानिध्यता प्राप्त कर श्रेष्ठ क्रियाओं द्वारा जीवन में शक्ति सम्पन्न बन सकते हैं। जिससे जीवन के विकारों, न्यूनताओ और अभावों का शमन निश्चित रूप से होता है। शक्ति के बिना जीवन में कुछ भी करना संभव नहीं है, प्रत्येक क्रिया में शक्ति ही अनिवार्य है।
इस शक्तिमय भूमि विराट नगर में नवरात्रि के पूर्णता दिवस 26 मार्च को परम पूज्य सद्गुरुदेव कैलाश श्रीमाली जी के दिव्य सानिध्य में एक दिवसीय साधनात्मक दिवस पर शक्ति से युक्त होने की दिव्यतम साधनात्मक क्रियायें हवन, पूजन और अध्यात्म की सर्वश्रेष्ठ दस महाविद्या साधना, अंकन व दस महाविद्या शक्तिपात दीक्षा सम्पन्न होगी। ये विशिष्ट साधनात्मक क्रियायें पंजीकरण युक्त साधक सम्पन्न कर अपने जीवन के न्यून पक्ष का संहार करने की चेतना से आप्लावित होंगे व नूतन सृजनात्मक चेतना आत्मसात करने से ज्ञान शक्ति, इच्छा शक्ति व कर्म शक्ति में वृद्धि होगी। शक्ति के इस महान पर्व की चेतनामय किरणों द्वारा जीवन का नवनिर्माण संभव हो सकेगा और विषमताओ, बाधाओ, तंत्र दोष, नवग्रहों के प्रकोप से जीवन सुरक्षित होगा, साथ ही सुख-समृद्धि, सम्पन्नता, आयु वृद्धि, आरोग्यता व सभी भौतिक सुख- सुविधाओं से जीवन युक्त होगा व सभी सुकामनाओ की पूर्ति हो सकेगी।
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