शक्ति उपासना का मूल चिंतन जीवन में नूतन परिवर्तन लाना है। जिसका तात्पर्य है प्रकृति के स्वभाव अर्थात् निद्रा, आलस्य, तृष्णा, कामवासना, भ्रान्ति, अज्ञान, मोह, क्रोध, काम पर विजय कैसे प्राप्त की जाये? महिषासुर रूपी राक्षस क्रोध का प्रतीक है, रत्तफ़ बीज रूपी राक्षस काम का प्रतीक है, जितना इसको मिटाने का प्रयास करते हैं, वह पुनः जाग्रत हो जाता है। उपरोत्तफ़ सारे दुर्गुणों को अर्थात् अविद्या को नाश करने के लिये शक्ति के गुण सद्बुद्धि, बोध, लज्जा, पुष्टि, तुष्टि, शांति, क्षान्ति, श्रद्धा, कान्ति, सद्वृत्ति, धृत्त, उत्तम, स्फूर्ति, दया, परोपकार आदि गुणों का विकास आवश्यक है।
इस प्रकार मनुष्य जीवन सभी गुणों का संयोग है। अब जीवन में कौन से गुण उसके ऊपर हावी होते हैं और वह अविद्या रूपी अवगुणों को शक्ति साधना के द्वारा किस प्रकार से उन्हें मिटा सकता है, यह पुरुष रुपी ब्रह्म और स्त्री रूपी शक्ति से संभव है।
नवरात्रि एक उत्सव पर्व नहीं है, यह कल्प है, व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें वह अपने आप को ऊर्ध्व स्थिति में ले जा सकता हे। मां भगवती कभी अपने भक्तों की परीक्षा नहीं लेती, वह उन्हें अपनी अभय मुद्रा में वर ही प्रदान करतीं हैं और नवरात्रि कल्प इसका सबसे सुन्दर चेतना काल है। रुद्रायमल तंत्र में लिखा है कि-
सर्वें विघ्ना विनश्यन्ति शतचण्डी विधौ कृते रोगाणां भवान्या वा प्रसादान्निकटे शुभम्।
एवं कृतु जगद्वश्चं सर्वे नश्यंत्युपद्रवाः राज्यं धनं यशः पुत्रनिष्टमन्यल्लभते सः।।
जो साधक नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना श्रद्धा-भाव से करता है, उसके सारे विघ्न शांत हो जाते हैं, रोगों और बुराईयों का नाश हो जाता है। धन और समृद्धि बढ़ती है, शंकर और भवानी के प्रसाद से सर्व सुखों से युक्त होता है, आयु, आरोग्य धन, पुत्र, यश या अन्य जो भी कामना होती है, वह साधक को मिलती ही है।
मूल रूप से गुप्त नवरात्रि ऐसे साधकों के लिये होती है, जो साधना पर्व को उत्सव के रूप में कम और साधना कल्प के रूप में ज्यादा विचार कर उन दिनों विशेष साधनायें सम्पन्न करते हैं। गुप्त नवरात्रि तंत्र साधनाओं का सिद्ध मुहूर्त माना गया है। बसन्तीय नवरात्रि के बाद वर्षा ऋतु में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक यह समय शक्ति साधनाओं को सम्पन्न करने का चैतन्य मुहूर्त है। इस अवसर पर जो साधक स्वयं के आत्मोन्नति के साथ-साथ अपने परिवार के पूर्ण कल्याण और बाधाओं पर विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से साधना सम्पन्न करता है, तो उसे सफलता अवश्य ही मिलती है। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि साधना के मनोभावों को आत्मसात करते हुये, साधना के मूल चिंतन से आप्लावित होकर साधना में प्रवृत्त हो।
चैत्र अथवा शारदीय नवरात्रि जहां भौतिक कामनाओं के लिये विशेष रूप से जानी जाती है और जनमानस इन्हीं दोनों नवरात्रि पर ही ध्यान देते हैं। लेकिन जो साधक हैं, वे गुप्त नवरात्रि पर अपनी अभीष्ट साधनाओं को सम्पन्न कर अपने लक्ष्य को गति देते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है, जब साधक गोपनीय ढंग से ऐसी साधनायें सम्पन्न करता है, जो अपार ऊर्जा शक्ति का सृजन कर, जीवन को ऊर्ध्वता प्रदान करे, उसे श्रेष्ठमय बनाने की क्रिया सम्पन्न करे। यह अवसर तंत्र साधनाओं के माध्यम से अपनी मनोकामनाओं को साकार रूप देने का चैतन्य कल्प होता है। जीवन के दोनों भौतिक-आध्यात्मिक पक्ष को सुदृढ़ कर अपने शत्रुओं को गोपनीय ढंग से परास्त करते हुये, गुप्त शत्रु पर विजय प्राप्त करते हुये एकदम से छलांग लगा देने की यह क्रिया गुप्त नवरात्रि में ही सम्पन्न की जाती है।
पत्रिका परिवार अपने सभी जाग्रत चैतन्य साधक-साधिकाओं को इस महान पर्व की दिव्यता को आत्मसात करने की साधनात्मक क्रिया करने की प्रेरणा के साथ यह भी सूचित करता है, कि इस वर्ष गुप्त नवरात्रि प्रतिपदा तिथि का प्रारम्भ सूर्य ग्रहण 13 जुलाई शुक्रवार शक्ति दिवस की दिव्यतम चैतन्यता में हो रहा है। ऐसे सुश्रेष्ठतम अवसर का लाभ जीवन की विषमताओं को समाप्त करने में श्रेष्यस्कर है। पत्रिका के इस अंक में सूर्य ग्रहण की चेतना में सम्पन्न करने वाली साधनाओं का प्रकाशन हो रहा है, गुप्त नवरात्रि से सम्बन्धित साधनाओं का प्रकाशन जुलाई अंक में होगा। अपने प्रकृति, भाव, चिंतन व समस्या के अनुरूप पूर्व में ही साधना सम्पन्न करने की तैयारी कर लें व साधना सामग्री मंगाकर अपने संकल्प को सुदृढ़ बनायें।
शक्ति पर्व सृजन व न्यूनताओं के संहार का महापर्व नवरात्रि का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव होता है। इस वर्ष सूर्य ग्रहण चैतन्यता युक्त आषाढ़ी नवरात्रि के तंत्र पर्व पर एकनिष्ठ भाव से साधनारत होकर जीवन को शक्तिमय ऊर्ध्वता दें-!
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,