नववर्ष के प्रथम दिन प्रातः सूर्योदय से पहले जागें और स्नान करें। घर या मंदिर में पीले वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की पूजा सिंदूर, दूर्वा, गंध, अक्षत, अबीर, गुलाल, सुगंधित फूल, जनेऊ, सुपारी, पान, फल व भोग में लड्डू अर्पित करें। पूजा के बाद पीले आसन पर बैठ कर निम्न अचूक फलदायी मंत्रे यथाशक्ति जप करें।
मंत्र जप के बाद सुंगधित धूप और घी के दीप से श्री गणेश की आरती सम्पन्न करें।
भगवान श्री गणेश बुद्धि, सिद्धि के दाता होने के साथ भय, चिंता दूर करने वाले देवता हैं। यहीं वजह है कि इन गणेश मंत्रों से वर्ष का प्रारम्भ करने से और भगवान गणेश का ध्यान करने पर श्री गणेश पूरा वर्ष अनचाहे कष्टों से बचाकर मनचाहे नतीजे देते हैं।
हिन्दू धर्म में देवालयों और मंदिरों के बाहर घंटियां या घंटियाल पुरातन काल से लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिस मन्दिर से घंटी या घडि़याल बजने की आवाज नियमित आती है, उसे जाग्रत देव मंदिर कहते हैं। उल्लेखनीय है कि सुबह-शाम मंदिरों में जब पूजा-आरती की जाती है तो छोटी घंटियों, घंटो के अलावा घडि़याल भी बजाए जाते हैं।
इन्हें विशेष ताल और गति से बजाया जाता है, ऐसा माना जाता है कि घंटी बजाने से मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठित मूर्ति के देवता भी चैतन्य हो जाते हैं, जिससे पूजा प्रभावशाली तथा शीघ्र फल देने वाली होती है। स्कन्द पुराण के अनुसार मंदिर में घंटी बजाने से मानव के सौ जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, जब सृष्टि प्रारम्भ हुई उस समय जो नाद (आवाज) हुई थी, वैसी ही नाद घंटी या घंटियाल की ध्वनि से भी निकलता है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जाग्रत होता है। घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है, धर्म शास्त्रियों के अनुसार जब प्रलय काल आयेगा, तब भी इसी प्रकार का नाद प्रकट होगा।
मंदिरों में घंटी या घंटियाल लगाने का वैज्ञानिक कारण भी है, जब घंटी बजाई जाती है, तो उससे वातावरण में कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल में काफी दूर तक जाता है, इस कम्पन की सीमा में आने वाले जीवाणु-विषाणु आदि सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं तथा मंदिर और उसके आस-पास का वातावरण शुद्ध बना रहता है।
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