माघ माह को हिन्दू धर्म ग्रन्थों में बहुत ही पवित्र और पुण्यकारी माना गया है। इस माह का प्रत्येक दिवस साधनात्मक स्वरूप में जीवन को सुख-सम्पदा, सौभाग्य से युक्त करने हेतु शुभमय है, परन्तु माघ माह की अमावस्या जो कि मौनी अमावस्या स्वरूप निमित्त है। मान्यता है कि इस दिन गंगा का जल अमृतमय हो जाता है और संगम स्थलों पर देवी-देवताओं का वास होता है। इसीलिए इस दिवस पर गंगा स्नान की बड़ी महत्ता होती है। इस माह को कार्तिक माह की भांति परम पुण्यदायक माना गया है। इस दिन श्रद्वालुओं को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान-पुण्य करना चाहिए तथा यदि किसी कारणवश तीर्थ संगम में स्नान के लिए ना जाने पर अपने शहर के निकट पवित्र नदी, सरोवर अथवा अपने घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए, क्योंकि शास्त्रों अनुसार इस दिन सभी नदी, जल सरोवर गंगा स्नान के समान पुण्यकारी होते हैं। साथ ही विष्णु और शिव दोनों की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन चन्द्रमा अस्त होता है, जो मन का प्रतिनिधित्व करता है, चूंकि चन्द्रमा अस्त होने से मन की चंचलता शांत होती है, इसीलिए अनेक श्रद्धालु इस दिन मौन व्रत, ध्यान, मंत्र जाप आदि क्रियायें सम्पन्न करते हैं।
यह भी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने मनु महाराज और महारानी शतरूपा को प्रकट कर सृष्टि आरम्भ का कार्य इसी दिवस पर सम्पन्न की। इसीलिये इस दिवस को मौनी अमावस्या कहा जाता है।
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