सांसारिक जीवन में तीसरी और सर्वाधिक महत्वपूर्ण ज्ञान शक्ति आज के समय के अनुरुप सभी में होना ही चाहिये। यही वह तत्व है जो प्रतिस्पर्धा के इस युग में श्रेष्ठ सफलता प्रदान करने में सहायक है। दैवीय ऊर्जा आत्मसात करने का तात्पर्य यही है कि हमारे मस्तिष्क में जिस क्रिया शक्ति की न्यूनता है, वह दैवीय ऊर्जा के माध्यम से शक्ति ग्रहण कर तीव्रता से क्रियाशील हो सके और यही दैवीय शक्ति हमारे जीवन में निरन्तर सहायक की भूमिका निभाते हुये श्रेष्ठता का मार्ग प्रशस्त करती रहे।
ज्ञान, बुद्धि वृद्धि सरस्वती शक्ति दीक्षा ग्रहण करने से साधक के चित्त व बुद्धि को प्रबलता मिलती है। साथ ही सद्-ज्ञान, सद्-बुद्धि, सद्-चेतना, सद्-संस्कार और श्रेष्ठ, योग्य, कुशल व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है। सांसारिक सद्-ज्ञान की प्राप्ति से संतान श्रेष्ठ सफलता अर्जित कर पाते हैं और उनके सुसंस्कारों में अभूतपूर्व वृद्धि होती है। इस दीक्षा के माध्यम से बुद्धि और चित्त श्रेष्ठ चिंतन ग्रहण कर एकाग्रता, मेधावी, तेज-तर्रार, वाक्-चातुर्यता के गुणों से युक्त होता है। बच्चों को प्रारम्भ में ही ऐसी श्रेष्ठतम दीक्षा की चेतना आत्मसात कराने से उनके बुद्धि, कौशल की सुदृढ़ नींव का निर्माण होता है और मेधावी विद्यार्थी के रूप में उच्च शिक्षा ग्रहण कर श्रेष्ठतम स्थान प्राप्त करने और अपना व अपने कुल का स्वर्णिम भविष्य निर्मित करने में सहायक बन सकेंगे।
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