जिस प्रकार पुष्प में गंध, चन्द्र में शीतलता, सूर्य में प्रभा सिद्ध है। उसी प्रकार शिव में शक्ति भी सिद्ध है, शक्ति को किसी भी रूप में भी कहा जाये उमा, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, ब्रह्माणी, श्री विद्या, इन्द्राणी, महाकाली सब शिव के साथ ही निहित हैं। शिव पुरुष रूप हैं तो उमा स्त्री स्वरूप, शिव ब्रह्म है तो उमा सरस्वती, शिव विष्णु और उमा लक्ष्मी, शिव सूर्य तो उमा छाया, शिव चन्द्र हैं तो उमा तारा, शिव यज्ञ हैं तो उमा वेदी, शिव अग्नि हैं तो उमा स्वाहा, शिव-शक्ति अभेद हैं, इनकी अभ्यर्थना संयुक्त रूप से की जाती है।
भगवान शिव आध्यात्मिकता के देव हैं तो भौतिकता के भी देव हैं, भौतिक जगत में व्यक्ति को जीवन में परिवार, पुत्र, आनन्द, विद्या, ज्ञान, भयहीनता, सर्व स्वरूप में सहस्त्र लक्ष्मी चाहिये और इन सभी के प्रदाता भगवान शिव हैं। शक्ति स्वरूपा उमा सदा उनके साथ रहती हैं, जहां शिव है वहीं भगवती है, शिव आराधना से ही भगवती की कृपा प्राप्त की जा सकती है। सदाशिव मृत्युजंय भी हैं और वे त्रयम्बक भी कहे जाते हैं। सांसारिक प्राणी सदैव यम अर्थात् मृत्यु, रोग, भय से बचने का प्रयत्न करता है और केवल शिव ही काल से महान महाकाल, मृत्युजंय और अमृतेश्वर हैं, जो जीवन में बार-बार मृत्यु से बचाकर अमृत प्रदाता हैं।
श्रीविद्या दीक्षा का अर्थ है कि साधक का जो शरीर है, उसे ही श्रीयुक्त बना दिया जाये, साधक के शरीर को ही श्री यंत्र बना दिया जाये, यही श्रीविद्या दीक्षा का सार है और श्री का तात्पर्य है- जीवन की पूर्णता, यश, वैभव, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, धन-धान्य और वह सब कुछ जो हमारे जीवन की आवश्यकता है। वह सब कुछ हमें प्राप्त हो, उसे श्री कहते हैं। अभाव युक्त, दरिद्रतामय जीवन को श्री नहीं कहा जा सकता। जीवन की सभी गतिविधियों के हम संचालक हों, हम निर्धारक हों, हमारा उन पर नियंत्रण हो सके, हम परिस्थितियों का नियंत्रण कर सकें, यही श्रीयुक्त जीवन है और यह सब तब प्राप्त होता है, जब साधक श्रेष्ठ मुहुर्त में दैवीय चेतना को अपने रोम-रोम में आत्मसात कर सकें।
इस दीक्षा को प्राप्त करने के बाद साधक शरीर ही श्री यंत्र का एक रूप बन जात है, यदि इस शरीर में ही श्री यंत्र के तत्व समाहित हो जायेंगे तो सर्वस्व हर प्रकार की उन्नति, श्रेष्ठता स्वतः ही प्राप्त हो जायेगी। जीवन के सभी तत्वों की पूर्ति होने लगती है और जीवन अभावहीन बन जाता है अर्थात् हमारे जीवन की जो कुछ भी आवश्यकता है, उन सभी की पूर्ति होने लगती है और हमारा जीवन शिव-गौरी गणपति कार्तिकेय रिद्धि-सिद्धि शुभ-लाभमय स्थितियों से युक्त होता है जीवन सर्व सौभाग्य सहस्त्र लक्ष्मी की चेतना से आप्लावित होकर धन, सम्पन्नता, दीर्घायु जीवन, कार्य-व्यापार वृद्धि, संतान सुख आदि चेतनाओं से आप्लावित होता है, जिससे शिव-गौरी परिवारमय जीवन बनता है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,