सूर्य और चन्द्र की गति की गणना से हिन्दू वर्ष का निर्धारण किया जाता है। एक वर्ष में सूर्य पर आधारित दो आयन उत्तरायण और दक्षिणायन होते हैं। उत्तरायण व शुक्ल पक्ष में देव शक्तियां सक्रिय होती हैं। वहीं दक्षिणायन व कृष्ण पक्ष में पितृ शक्तियां, तंत्र साधनाएं व असुर शक्तियों पर विजय प्राप्ति की क्रियायें सम्पन्न की जाती हैं।
हिन्दू पंचाग के अनुसार हर माह के 30 दिन को चन्द्रमा के गति के अनुसार 15 दिन शुक्ल पक्ष और 15 दिन कृष्ण पक्ष के रूप में निर्धारित किया गया है। हिन्दू माह के शुक्ल पक्ष के अंतिम दिवस अर्थात 15 वें दिवस को पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिवस में चन्द्रमा पूर्ण आकार में दृष्टिगोचर होता है। जिसका शास्त्रों में विशेष महत्व दर्शाया गया है। पूर्णिमा दिवस पर सामान्यता कोई ना कोई पर्व अथवा व्रत, उपवास भौतिक-आध्यात्मिक उद्देश्य की पूर्ति हेतु सम्पन्न किये जाते हैं।
प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अलग ही महत्व होता है। पूर्णिमा दिवस पर पूर्ण चन्द्र के दर्शन होते हैं, जो अंधकार को समाप्त कर प्रकाशमान जीवन का प्रतीक है अर्थात् अज्ञानता, विकार, दुख, विषाद को समाप्त कर जीवन में ज्ञान, उत्साह, ऊर्जा, आनन्द, सुख प्राप्ति का दिवस है।
यह मास हिन्दू नववर्ष का प्रथम मास है, इस मास की पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है, इसे चैती पूनम के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू नववर्ष की प्रथम पूर्णिमा के रूप में चैत्र पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन साधना, पूजा, व्रत, स्नान आदि क्रियायें सम्पन्न की जाती हैं।
वृन्दावन में स्थित निधिवन में चैते पूनम अथवा चैत्र पूर्णिमा के दिवस पर भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला पूर्ण हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला कार्तिक पूर्णिमा को प्रारम्भ होकर चैत्र पूर्णिमा दिवस पर पूर्ण सम्पन्न हुई। सोलह कलाओं में निपुण श्रीकृष्ण को आनन्द भाव प्रदायक देवों में प्रथम देव माना जाता है। आनन्द भाव का पूर्ण विकास उनके महारास लीला के पश्चात् ही हुआ था। यह मधुर रासलीला श्रृंगार व रस से पूर्ण होते हुए भी वासना से मुक्त थी। इस महारास लीला में भगवान कृष्ण अपने भक्तों को आत्म तृप्ति व संतुष्टि का भाव प्रदान करते हैं। जो भगवान-भक्त के एकाकार भाव की भूमि है।
चैत्र पूर्णिमा दिवस को उत्तर व मध्य भारत में हनुमान जयन्ती के रूप में भी सम्पन्न किया जाता है। इसी दिवस पर भगवान शिव के 11वें अवतार महावीर हनुमान का माता अंजनी के उदर से जन्म हुआ था। जो बल, बुद्धि, ज्ञान, विवेक, संस्कार, सद्गुण, ब्रह्मचर्य शक्ति प्रदायक दिवस है। विशेषकर संतान के सद्-उन्नति के लिए इस दिवस पर भगवान हनुमान की साधनायें सम्पन्न की जाती हैं।
इस प्रकार यह दिवस बल, बुद्धि, ज्ञान प्रदाता होने के साथ ही प्रेम, आनन्द भाव, आत्मिक संतुष्टि व भगवान -भक्त के मध्य एकात्मक भाव स्थापित करने का दिवस है। चैत्र पूर्णिमा दिवस पर साधना, पूजा सम्पन्न करने से वर्ष भर शुभता और मंगलमय स्थितियों की प्राप्ति होती है।
आपकी माँ
शोभा श्रीमाली
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