आद्या शक्ति महालक्ष्मी नवनिधि स्वरूप में सुख, समृद्धि, सौभाग्य, आयु, आरोग्य, संतान, सम्मोहन, सौन्दर्य और कार्य सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करती हैं, साथ ही नवदुर्गा स्वरूप में साधक को शक्ति, ऊर्जा, चेतना से संचारित कर अभिवृद्धि का आत्मबल प्रदान करती हैं। शक्ति उपासना से केवल भौतिक कामनाओं की पूर्ति ही नहीं होती बल्कि शक्ति के आराधक आध्यात्मिक पथ की पूर्णता को प्राप्त करते हैं अर्थात् शक्ति सम्पन्न साधक ही कुण्डलिनी जागरण, ध्यान, धारणा, समाधि की यात्रा कर पाते हैं। इसलिए शक्ति को केवल भौतिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक भाव-भूमि से भी समझना चाहिए।
साधक जब नवनिधि शक्ति की चेतना आत्मसात करता है, तो उसमें एक ऐसी अनोखी चेतना का विस्तार होता है, जो उसके जीवन में प्रखरता का भाव स्थापित करती है। शक्ति की उपासना इसलिए भी सदा करते रहना चाहिए कि शक्ति से ही जीवन है, शक्ति के बिना जीवन का कोई अस्तित्व ही नहीं और सांसारिक जीवन यापन करने में भी निरन्तर शक्ति व्यय होती है, जिसकी आपूर्ति निरन्तर होती रहे, तो ही सुस्थितियां स्थायित्व रूप से टिकती हैं अन्यथा जीवन में दूषित स्थितियों का आगमन कब हो जाये इसका भान भी नहीं होता, इसीलिए शक्ति की उपासना प्रत्येक सांसारिक व्यक्ति को समय-समय पर करते रहना चाहिए।
नवनिधि स्वरूप में आद्या शक्ति की चेतना से अपने रोम-रोम को आप्लावित कर साधक जीवन की अनेक स्थितियों में विजय प्राप्त करता है और निम्न उपलब्धियों से युक्त होता है- पद्म निधि- स्वर्ण, चांदी आभूषणों से परिपूर्ण होता है। महापद्म निधि- धन का अजस्त्र संग्रह होता है। नील निधि- सात्विक तेज से संयुक्त होता है और उसकी संपत्ति तीन पीढ़ी तक रहती है। मुकुंद निधि- रजोगुण संपन्न होता है, राजयोग की प्राप्ति होती है। नन्द निधि- राजस और तामस गुणों से युक्त होता है तथा वही कुल का आधार बनता है। मकर निधि- बल, बुद्धि, विजय भाव से युक्त होता है। कच्छप निधि- जीवन का पूर्णता उपभोग करता है। शंख निधि- सम्पूर्ण जीवन आनन्दमय होता है। खर्व निधि- सभी प्रकार के सुभावों से युक्त फल की प्राप्ति होती है। जीवन में सुख-सौभाग्य, समृद्धि, ऐश्वर्य, धन, सम्पन्नता से परिपूर्णता प्रदान और जीवन के समस्त विघ्नों का नाश शक्ति साधना से ही संभव है। साधना से ही जीवन में सुसाधन निर्मित होते हैं।
शुभ-लाभ नवनिधि प्राप्ति महानवमी शक्तिपात दीक्षा ग्रहण करने से साधक सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य, प्रेम, बुद्धि, वाहन, भू-भवन से युक्त हो सकेंगे, साथ ही सतत् रूप में अर्थ को अपने जीवन में स्थापित कर कुबेरमय जीवन की प्राप्ति कर सकेंगे। जिससे विक्रम सम्वत् 2076 नूतन वर्ष के रूप में सभी दृष्टियों से अनुकूलमय चेतना से युक्त हो सकेगा। अतः नूतन वर्ष को मंगलमय बनाने के लिये पति-पत्नी को अपने जीवन में वृद्धि के लिये उक्त दीक्षा अवश्य ही ग्रहण करनी चाहिये।
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