इस महाविद्या द्वारा साधक वज्र के समान अपने सभी शत्रुओं, विकारो, न्यूनताओं पर वैरोचनीये स्थिति में विजय प्राप्त करता है। पूर्व जन्मकृत पाप-दोष समाप्ति, सद्बुद्धि, क्रियाशीलता, स्वयं पर नियंत्रण रखने की तो यह अद्भुत महाविद्या है। माया, मोह रूपी कलियुग में इस महाशक्ति की तुलना किसी भी अन्य से की ही नहीं जा सकती है।
वास्तव में छिन्नमस्ता महाविद्या आज के भौतिक युग में नितांत आवश्यक है। क्योंकि आज के आधुनिक युग में प्रतिस्पर्धा की लड़ाई शीर्ष पर स्थित है। हर व्यक्ति एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में नीच से नीच क्रिया करने से भी नहीं चूकता। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षात्मक कवच के साथ ही साथ भौतिकता के प्रत्येक क्षेत्र में पूर्णता चाहिये। जिसके लिये यह महाविद्या वज्र के समान फल देने में पूर्णता समर्थ है। साथ ही आध्यात्मिक उच्चता की भी प्राप्ति होती है।
इस महाविद्या को सिद्ध कर अन्य महाविद्याओं को भी सरलता से सिद्ध किया जा सकता है और इसी महाविद्या द्वारा अन्य साधनाओं में भी शीघ्र सफलता प्राप्ति के योग बन जाते हैं। परन्तु छिन्नमस्ता महाविद्या को सिद्ध करने के लिए दृढ़ संकल्प-शक्ति प्रमुख रूप से होनी चाहिए। जो साधक अपने जीवन में यह निश्चय कर लेते हैं, कि मुझे अपने जीवन में कुछ विशिष्ट कर के दिखाना है, मुझे अपने जीवन में साधनाओं में सफलता प्राप्त करना ही है और ऐसी साधनाएं सम्पन्न करनी है, जो अपने आप में अद्वितीय हो, जो अपने आपमें अचरज भरी हो और जिन साधनाओं को सम्पन्न करने से संसार दांतों तले उंगली दबा कर यह अहसास कर सके कि वास्तव में ही यह व्यक्ति विशिष्टता से परिपूर्ण है।
एक ऐसी ही महाविद्या है छिन्नमस्ता जिसका आकलन शाब्दिक रूप से नहीं अपितु अनुभूति के आधार पर करना ही श्रेष्ठ होगा। यह महाविद्या भोग-विलासिता प्रदायक शक्ति है, इन्हें त्रिपुरी सुन्दरी का उग्र स्वरूप बताया गया है। साधक जीवन में दस महाविद्या साधनायें आदि काल से ही प्रमुख रहीं हैं। आज भी इनकी दैवीय शक्तियों की आराधना प्रमुखता से होती है।
17 मई 2019 छिन्नमस्ता जयंती के चैतन्य अवसर पर इस विशिष्ट महाविद्या की साधना अवश्य ही जाग्रत चैतन्य साधकों को सम्पन्न करना चाहिए।
किसी भी देव अथवा दैवीय शक्तियों का आविर्भाव दिवस ही ऐसा चैतन्य अवसर होता है, जब उस दैवीय शक्तियों को पूर्णता से आत्मसात किया जा सकता है। यह अवसर जीवन निर्माण का अवसर उपलब्ध कराता है, जब साधक थोड़े से प्रयास द्वारा अपने जीवन की विकट परिस्थितियों को भी पराजित कर जीवन को सर्व सुख-भोगमय बनाने में सफल होता है।
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