व्यक्ति के जीवन में समस्यायें मुख्यतः सांसारिक ही होती हैं। ये समस्यायें इस संसार में अन्य व्यक्तियों द्वारा उत्पन्न की गयी परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप ही प्राप्त होती हैं। वही व्यक्ति पूर्ण पुरुष बन सकता है, जिसमें जीवनी तत्व अर्थात् साहस, बल, बुद्धि, पराक्रम, शक्ति का उद्वेग निरन्तर संचारित होता रहता हो। ऐसे ही व्यक्ति लक्ष्य प्राप्ति के लिये अपना मार्ग स्वयं बनाने के लिये क्रियारत रहते हैं।
जीवन में असफ़ल होने के मुख्य कारण होते हैं
दैहिक शत्रु अर्थात् शरीर की कृषकायता, रूग्णमय शरीर, मानसिक रोग, कष्ट।
वे लोग जो आपकी आलोचना करते हैं आपकी उन्नति का मार्ग अवरूद्ध करते हैं।
आन्तरिक शक्ति यदि न्यून है, कमजोर है, तो व्यक्ति मानसिक रूप से जड़वत बन जाता है, उसके उत्साह की गति मंद पड़ जाती है। जिसके कारण ना जीवन के प्रति ना ही किसी कार्य के प्रति व्यक्ति में उत्साह रहता है। सांसारिक जीवन में बाधायें और कष्ट तो जुड़ते रहते हैं। परन्तु यदि इन बाधाओं से वह ना लड़े, संघर्ष से पूर्व ही निराशा अथवा पराजय की आशंका घेर ले तो वह व्यक्ति जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता है।
सांसारिक जीवन में संघर्ष करना बहुत ही आवश्यक है। सफलता या विजय केवल उन्हें ही मिलती है, जो संघर्ष करना जानते हैं। जीवन कभी भी केवल फूलों से बिछा हुआ नहीं होता है, इसमें फूल हैं, तो कांटों का भी सामना करना पड़ता है और जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी खड़ा रहता है, वही वास्तविक योद्धा कहलाता है और वह ही अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करने में सफल भी होता है।
यदि व्यक्ति प्राण ऊर्जा से संचारित है, यदि व्यक्ति के जीवन में चेतना है, विशिष्ट संस्कार हैं और एक अजड्ड शक्ति का भण्डार जागृत है, तो वह व्यक्ति अपने जीवन में किसी भी परिस्थिति में हार नहीं सकता, उसे विषम से विषम परिस्थितियों में भी ऐसा ही लगता है, कि मैं इस पराजय की स्थिति को विजय में बदल दूंगा और वह पूर्ण चेतना युक्त होकर कार्य करता है, जिससे वह परिस्थितियों को अपना दास बना लेता है और फिर जीवन को अपनी इच्छानुसार जी लेता है।
सफला एकादशी युक्त नूतन वर्ष के प्रथम दिवस से ही ऐसी दिव्य ऊर्जा, चेतना शक्ति से आप्लावित होने से जीवन हर स्वरूप में सर्व सफलता प्रदायक स्थितियों से युक्त हो सकेगा, साथ ही सुख-समृद्धि, आयु वृद्धि, संतान सुख-सौभाग्यमय हो सकेंगे। फोटो द्वारा नूतन वर्ष की प्रथम रात्रि सफला एकाद्शी महापर्व पर सद्गुरुदेव जी शक्तिपात दीक्षा के माध्यम से शुभाशीर्वाद प्रदान करेंगे। जिससे नूतन वर्ष के प्रथम भोर काल से ही जीवन में सूर्य के समान तेजस्विता व जाज्वल्यमय चेतना से अभिभूत हो सकें और निरन्तर पूरे वर्ष भर प्रकाशमय स्थितियां निर्मित हों सकेंगी।
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