भगवान शंकर त्रिगुणात्मक हैं, ब्रह्मा स्वरूप सृजन कर्त्ता, विष्णु स्वरूप पालन कर्ता एवं रूद्र स्वरूप संहार कर्ता- ये तीनों ही रूपों का समन्वित रूप महादेव हैं इसीलिये तो इन्हें हरिहर पितामह कहा गया है। अथर्ववेद में भगवान शिव को हरिहर हिरण्यगर्भ भी कहा गया है, अतः भगवान ब्रह्मा, विष्णु एवं सूर्य का समन्वित रूप शिव हैं, केवल मात्र इनकी पूजा ही समस्त देवताओं की पूजा-अर्चना है, जो कुछ दृश्य है वह शिव है, जो कुछ घटित है, वह शिव है—- यह संसार शिवमय है, शिवस्वरूप है, शिव-युक्त है।
एक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का मां गौरी से विवाह सम्पन्न हुआ था यह सृष्टि का प्रथम अन्तर्जातीय विवाह कहा जा सकता है क्योंकि भगवान शिव तो अमर हैं, अजन्मे हैं तथा उनके कुल इत्यादि के सम्बन्ध में कोई जानकारी ही नहीं है। मां पार्वती क्षत्रिय कुल में राजा दक्ष के यहां उत्पन्न हुई थी। इस विवाह में देव-राक्षस, भूत-प्रेत, गन्धर्व अप्सराएं सभी सम्मिलित थी, उसी शुभ अवसर के फल स्वरूप पूरे संसार में यह महोत्सव आनन्द पर्व के रूप में सम्पन्न किया जाता है।
शिवरात्रि अर्थात शिव की रात्रि, जो जगत-गुरु हैं, जो समस्त कष्टों को दूर करने वाले हैं, जिनके चिन्तन मात्र से ही समस्त सुखों की प्राप्ति हो जाती है और जो मनुष्य के समस्त पापों को दूर कर उसे मोक्ष प्रदान करने वाले हैं, उनकी उपासना व आराधना प्रत्येक व्यक्ति या साधक को इस शिवरात्रि के दिन अवश्य ही सम्पन्न करनी चाहिए।
शिवरात्रि जो आनन्द की रात्रि है, जो मनुष्य को अन्धकारमय व घोर कालिमा युक्त जीवन को प्रकाशवान कर देने की रात्रि है, जो आत्मा को परमात्मा में लीन कर देने की रात्रि है, जो पूर्णता की रात्रि है, जो श्रेष्ठता की रात्रि है, जो शिव-शक्ति के सामांजस्य की रात्रि है, जो शिवत्व को प्राप्त कर लेने की रात्रि है—— और ऐसे शिवत्व को प्राप्त कर लेना ही तो जीवन का परम सौभाग्य है, परम आनन्द है, जीवन की सर्वोच्चता है और यह सर्वोच्चता, यह आनन्द, यह सौभाग्य जीवन में प्राप्त हो सकता है शिव शक्ति को धारण करने से। शिव का एक रूप हरिहर भी है जिसमें हरि अर्थात विष्णु और हर अर्थात शिव का समन्वित स्वरूप है। यह पालन और संहार का सूचक है, मानव जाति के नित्य उज्ज्वल नवीन रूप का द्योतक है।
सांसारिक व्यक्ति के लिये वर्ष का सर्वश्रेष्ठ महापर्व महाशिवरात्रि ही है ऐसे ही पावन पर्व पर अपने भौतिक जीवन में नवीन नूतन परिर्वतन के लिए और अपने जीवन में पूर्ण शिव-गौरी सौभाग्य को निर्मित करने हेतु शिव-गौरी अखण्ड सौभाग्य मृत्युजंय दीक्षा प्रदान करेंगे, जिससे आपका जीवन पूर्ण आनन्द, रस, उल्लास युक्त फलदायक और मृत्युजंय लक्ष्मी युक्त हो सके और आप अपनी कामनाओं को पूर्णता दे सकेंगे।
तीन पत्रिका सदस्य बनाने पर यह दीक्षा उपहार स्वरूप प्रदान की जायेगी!
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