ग्रहण शब्द का शाब्दिक अर्थ है प्राप्त करना अर्थात् जब हम किसी गुण, दोष, वस्तु को धारण करते हैं, प्राप्त करते हैं उस क्रिया को ग्रहण क्रिया कहा जाता है। इस बार चन्द्र ग्रहण 05 जून को होगा। यह चन्द्र ग्रहण साल का सबसे बड़ा चन्द्र ग्रहण होगा। जिसकी अवधि 07:30 घंटे होगी। जिसका लाभ प्रत्येक साधक को उठाना ही चाहिए।
किसी कारणवश चन्द्र ग्रहण दिखाई ना भी पडे़ तो इसका अर्थ यह नहीं कि चन्द्र ग्रहण मान्य नहीं हैं। जबकि साधनात्मक दृष्टि से यह चन्द्र ग्रहण अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि चन्द्र ग्रहण के समय वायुमंडल में एक विशेष प्रकार की शक्ति व्याप्त होती है, जो साधनात्मक दृष्टि से सफलतादायक है।
चन्द्रमा अपनी शीतलता, कोमलता और सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए चन्द्रमा व्यक्ति को सौन्दर्य व समस्त भौतिक-सुख देने वाला ग्रह है। अतः चन्द्र ग्रहण के दिन का विशेष समय साधक के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि उन क्षणों में साधना व दीक्षा सम्पन्न करने पर साधक की अन्तः स्थिति विशेष तरंगों द्वारा ग्रहों से जुड़ जाती है।
चन्द्र ग्रहण के समय साधना सम्पन्न करने पर व्यक्ति अपनी बाधाओं, समस्याओं और परेशानियों से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकता है, क्योंकि समय का अपने-आप में विशेष महत्व होता है और इस दिन भली-भांति उपयोग कर वह अपने लिए सफलता के द्वार खोल लेता है। इस विशिष्ट समय में की गयी पूजा, अर्चना, साधना, मंत्र, जप आदि का साधक को सौ गुना फल प्राप्त होता है, क्योंकि ग्रहण काल में की गयी माला मंत्र का प्रभाव कोटि गुना प्राप्त होता है।
ऐसे ही दिव्य साधनात्मक मुहूर्त का द्विगुणित फल प्राप्त होता है। चूंकि सामान्य गृहस्थ के जीवन में समस्यायें व कठिनाइयां अधिक होती हैं, जिस कारणवश वह हर क्षण दुःखी व तनावग्रस्त ही दिखाई देता है, ऐसे व्यक्ति इस शुभ अवसर का लाभ उठाकर अपनी सभी बाधाओं का निराकरण कर सकते हैं। चन्द्र ग्रहण के समय कोई भी साधना सम्पन्न की जा सकती है, किन्तु यहां पर कुछ विशेष साधनायें दी जा रहीं हैं। जिसके द्वारा सुखमय गृहस्थ जीवन व सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति व वृद्धि संभव हो पाती है। इस दिव्य अवसर पर जीवन को उन्नत बनाने के लिये व परिवार में सुस्थितियों की वृद्धि के लिये सभी साधनायें अवश्य सम्पन्न करें।
व्यक्ति निर्बल और पेट दर्द, सिर दर्द तथा मानसिक बीमारियों से ग्रसित होते हैं। अतः निरन्तर आने वाली बीमारियों के निराकरण हेतू इस साधना को चन्द्र ग्रहण के समय सम्पन्न किया जाना चाहिए। पीले वस्त्र धारण कर, गुरु चादर ओढ़कर, पूर्व दिशा की ओर आसन बिछाकर बैठ जाएं, फिर संक्षिप्त गुरु पूजन सम्पन्न् कर संकल्प लें, इसके पश्चात आरोग्य वर्द्धिनी माला से निम्न मंत्र की 9 माला ग्रहण काल में जप करें-
मंत्र जप सम्पन्न होने के पश्चात माला को नदी या कुंए में विसर्जित कर देना चाहिए, इस साधना को रोगी स्वयं या फिर कोई अन्य भी उसके नाम से संकल्प लेकर सम्पन्न् कर सकता है, ऐसा करने पर रोग का निराकरण स्वतः ही हो जाता है।
चन्द्र ग्रहण के इन क्षणों में यदि व्यक्ति इस महत्वपूर्ण साधना को सम्पन्न कर लें, तो वह हर प्रकार की ग्रह बाधा तथा गृहस्थ बाधाओं से मुक्त हो जाता है, क्योंकि ग्रहण के समय किया जाने वाला यह महत्वपूर्ण साधनात्मक भाव है।
पीत वस्त्र धारण कर, पूर्वाभिमुख हो आसन पर बैठ जाएं, फिर अपने सामने एक बाजोट पर पीले रंग का वस्त्र बिछा दें, तथा उस पर 5 पीपल के पत्तों को जल से धोकर उनके ऊपर 5 गोमती चक्र स्थापित करें, इसके पश्चात इन चक्रों पर कुंकुंम, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें और बाधा निवारण माला से निम्न मंत्र 11 माला जप सम्पन्न करें-
मंत्र जप सम्पन्न करने के पश्चात पूजन सामग्री को पीले वस्त्र में ही बांधकर नदी या किसी मंदिर में विसर्जित कर दें। वास्तव में ही इस साधना को ग्रहण काल में करने से मांगलिक दोष, शनि बाधा, राहु वक्री की शांति होती है। इसे स्त्री या पुरूष कोई भी कर सकता है, इस दिव्य साधना को सम्पन्न करने पर साधक को मानसिक चिंताओं से निवृत्ति प्राप्त होती है।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शत्रु होते ही हैं, जीवन की प्रगति में यदि शत्रु बार-बार अनर्गल तंत्र प्रयोग के माध्यम से अवरोध उत्पन्न कर रहा है, झूठे मुकदमे में शत्रु द्वारा फंसा दिया गया हो या शत्रु इज्जत, मान-सम्मान को हानि पहुंचाने का प्रयास निरन्तर कर रहा हो तो इस साधना को सम्पन्न करने से शत्रु की अनर्गल क्रियायें समाप्त हो जाती हैं। इस साधना के लिये सर्व शत्रु विनाशक यंत्र और शत्रुहन्ता माला की आवश्यकता होती हैं।
सर्वप्रथम पीले वस्त्र धारण कर उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठ जाएं, फिर एक लकड़ी के बाजोट पर कपड़ा बिछाकर, उस पर एक ताम्रपात्र में यंत्र को स्थापित करें, जल से स्नान करायें और फिर उस पर कुंकुंम, अक्षत, पुष्प से पूजन कर धूप, दीप से पूजन करें।
इसके पश्चात हाथ में जल लेकर संकल्प लें, कि मैं अमुक कार्य के लिए इस साधना को सम्पन्न कर रहा हूं और मुझे इसमें सफलता मिले, ऐसा कहकर जल जमीन पर छोड़ दें, फिर शत्रुहन्ता माला से 11 माला निम्न मंत्र जप करें-
मंत्र जप सम्पन्न करने के पश्चात यंत्र और माला को लाल वस्त्र में ही लपेट कर किसी नदी या कुंए में विसर्जित कर दें।
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