आज का युग प्रतिस्पर्धा का है, जो जितना अधिक जूझेगा, वह उतना ही आगे जायेगा, जो जितना अधिक ज्ञानार्जन करेगा, उतना ही अधिक प्रतिभाशाली होगा, सांसारिक ज्ञान और किताबी ज्ञान के बीच संतुलन बनाकर जो आगे बढ़ने का प्रयास करेगा, उसके समक्ष सफलता के द्वार खुले होंगे। आज का युग ऐसा ही है, जब आप को कड़ी से कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है, अपनी स्मरण शक्ति को उच्च स्तर पर विकसित करने की आवश्यकता है, क्योंकि आज का समाज Multi Talent को महत्व देता है, ऐसे में आपकी संतान का चतुर्मुखी विकास होना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है, क्योंकि आने वाले वर्षों में वही लोग अपना वर्चस्व बना पायेंगे, जिवन भीतर अपूर्व जीवट शक्ति होगी क्योंकि बिना ज्ञान शक्ति के जीवन में किसी भी तरह से सुस्थितियां नहीं आ सकती। अतः हम अपने बच्चों को विशेष रूप से चेतनाशील बनाये। उनके भीतर ऐसी चेतना का बीजारोपण करें, कि आने वाले समय में जब वे वट वृक्ष रूप में तैयार हो तो, उससे समाज, परिवार का हित सर्व स्वरूप में सिद्ध हो सकें।
केवल सद्गुरू कृपा से ही साधक आद्या शक्ति स्वरूपिणी माँ महासरस्वती की चेतना से जीवन में शक्ति सम्मोहन वशीकरण की चेतना से आप्लावित हो सकेंगे, उसी के फलस्वरूप जीवन में ज्ञान, सद्बुद्धि, वाक् चातुर्यता, कौशल, स्मरण शक्ति की वृद्धि होगी।
भगवती सरस्वती कामरूपा सौभाग्यदायिनी भी हैं, जिनके द्वारा स्त्रियां सौभाग्य शक्ति, सौन्दर्य पुष्टता युक्त कामकला की चेतना से आप्लावित होंगी साथ ही पुरूष कृष्णमय योग भोग कला स्वरूप ओज, ऊर्जामय कामदेव शक्ति से युक्त होंगे। दोनों के युग्म से ही पारिवारिक जीवन में रस, आनन्द, प्रेम, प्रसन्नता, सुख-समृद्धि का विस्तार हो सकेगा।
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