पानी में घुलनशील विटामिनों को शरीर सीधे उपयोग कर लेता है और बचे हुए विटामिन यूरिन के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते है। आपको कितने विटामिन की प्रतिदिन आवश्यकता होती है, यह आपकी उम्र और लिंग पर निर्भर करता है। गर्भावस्था और आपका स्वास्थ्य भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विटामिन के प्रकार
विटामिन को दो भागों में विभाजित किया गया है- पानी में घुलने वाले विटामिन और वसा में घुलने वाले विटामिन। पानी में घुलने वाले विटामिन शरीर में मौजूद पानी में घुल जाते है और वसा में घुलनशील विटामिन शरीर के फैट में घुल जाते है। वसा में घुलने वाले विटामिन्स की संख्या 4 होती है और पानी में घुलने वाले विटामिन 9 होते हैं। कुल 13 प्रकार के विटामिन होते हैं।
विटामिन A – रेटिनॉल और थाईरिमीन केमिकल कम्पाउंडस से मिलकर बना है।
स्त्रोत– विटामिन A चुकन्दर, गाजर, शकरकंद, मकई के दाने, मक्खन, पनीर, दूध, हरी सब्जियां, टमाटर और पीले रंग के फलों में प्रचुर मात्र में पाया जाता है।
लाभ-ये खून में कैल्शियम को संतुलित बनाये रखने में मदद करता है और त्वचा, नाखून, बाल, दांत, मसूड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है।
हानि– इसकी कमी से आंखों में समस्या होती है। छोटे बच्चों में विटामिन A के अभाव से उनके कद का विकास रूक जाता है, इससे स्किन और बालों को भी समस्या उत्पन्न होती है।
विटामिन B – विटामिन B कई रूपों में पाया जाता है। जैसे- विटामिन B1(थियामिन), B2(राइबोफ्रलेविन) B3 (नियासिन), B5(पैंटोथोनिक एसिड), B6(पाइरिडॉक्सिन) B7 (बायोटिन), B9(फॉलिक एसिड)और B12(कोबालामिन) इनमें से प्रत्येक विटामिन के विशिष्ट उपयोगी कार्य हैं।
स्त्रोत-यह विटामिन चोकर, अंकुरित अनाज, दूध, पालक, ताजी सब्जियां, सहजन, गाजर, चुकन्दर, अदरक, किशमिश, केला, मूंगफली और काजू में पाया जाता है।
लाभ-इस विटामिन का प्रमुख कार्य है पाचन क्रिया को स्वस्थ रखना। B1 और B2 मांसपेशी, तंत्रिका और हृदय कार्यप्रणाली के लिये आवश्यक है। B3 पाचन तंत्र को नियंत्रित करने में सहायता करता है। ठ6 इम्यूनी तंत्र को मजबूत और प्रोटीन को तोड़ने में शरीर की सहायता करता है। B9 ब्रेस्ट कैंसर को रोकने में सहायक है। B12 सवाईकल कैंसर की आशंका को कम करता है।
हानि– इसकी कमी से पेट सम्बन्धी बीमारियों के अलावा नसों में सूजन, पैरा-लाइसिस या हार्ट अटैक की सम्भावना हो सकती है, इसके साथ ही एनीमिया, थकान, भूख नहीं लगना, अवसाद उत्पन्न होना, बाल झड़ना, एक्जिमा और बेरी-बेरी रोग भी इसी विटामिन की कमी से होता है।
विटामिन C -विटामिन C शरीर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के साथ ही शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत बनाये रखता है।
स्त्रोत-यह विटामिन नींबू, मूली, आंवला, संतरा, अन्नानास, अनार, आम व अंकुरित अनाज में पाया जाता है।
लाभ-यह रक्त नलिका की दीवार को मजबूत करता है और दांतों, मसूड़ों को स्वस्थ बनाये रखता है।
हानि– विटामिन C की कमी से स्कर्वी रोग हो सकता है, जिसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी और हर समय थकान महसूस होने लगती है, मसूडों में खून आता है और जोड़ों में दर्द रहने लगता है। इसकी कमी से एनीमिया भी होता है।
विटामिन D – शरीर द्वारा कैल्शियम का अवशोषण करने के लिये विटामिन D का होना बहुत ही आवश्यक है। यह एक मात्र ऐसा विटामिन है जो हमें सूर्य की धूप से मुफ्रत मिलता है, सप्ताह में तीन दिन 15 मिनट तक धूप में बैठने से शरीर अपने लिये जरूरी विटामिन D का निर्माण कर लेता है।
स्त्रोत-विटामिन D का सबसे अच्छा स्त्रोत सूर्य की किरणें है। जब हमारे शरीर की खुली त्वचा सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के सम्पर्क में आती है, तो ये किरणे त्वचा में अवशोषित होकर विटामिन D का निर्माण करती है। इसके अलावा दूध, मक्खन, मूंगफली और तिल विटामिन D का अच्छा स्त्रोत हैं।
लाभ– यह शरीर में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करता है, जो तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली और हड्डियों की मजबूती के लिये आवश्यक है। सुन्दर, सुडौल चेहरा, उभरा हुआ वक्ष, चमकती हुई त्वचा रोग-प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
हानि-इसकी कमी से मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द, शारीरिक कमजोरी। बच्चों में इस विटामिन की कमी से रिकेट्स रोग होता है और बड़ों में आस्टियोपोरेसिस रोग उत्पन्न होता है जिसमें हड्डियां पतली और कमजोर होने लगती है।
विटामिन E – मांसपेशियों और नाडियों की सामान्य उत्पति और मजबूती को बनाये रखता है और एलर्जी से बचाव करने में सहायक होता है।
स्त्रोत– विटामिन E हरी पत्तेदार सब्जियों, अनाज, सोयाबीन, मक्का और छिलके वाले सभी खाद्य पदार्थो में पाया जाता है।
लाभ-कोलेस्ट्राल लेवल को संतुलित रखने वाला यह विटामिन खून में लाल रक्त कणों के निर्माण में मदद करता है साथ ही शरीर के हर अंग को सुचारू ढंग से चलाने में भी सहायक होता है। त्वचा और बालों की खूबसूरती बढ़ाने में सहायक ये विटामिन फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है।
हानि– इसकी कमी से प्रजनन क्षमता में कमी आती है और बढ़ती उम्र का असर भी जल्दी दिखने लगता है।
स्त्रोत–विटामिन K छिलकेदार अनाज और हरी सब्जियों में पाया जाता हैं
लाभ– यह विटामिन चोट लगने पर खून गाढ़ा करके जमाने का काम करता है और लीवर स्वस्थ बनाये रखता है। वह रोग जिसमें रक्त बहने का डर हो, ऐसे में विटामिन ज्ञ का प्रयोग अत्यन्त लाभप्रद है।
हानि– शरीर से जो रक्तस्राव होता है, वह इसी विटामिन की कमी के कारण होता है। इसके अतिरिक्त, पुराना अतिसार, बड़ी अंतडि़यो में सूजन आदि रोग इसकी कमी से होता है।
विटामिन्स सभी युवा, पुरूष, महिला, बुजुर्ग के लिये आवश्यक है। मनुष्य की शारीरिक क्रियायें इन्हीं पर निर्भर होती है। इसलिये इनकी उपयोगिता और कमी से उत्पन्न होने वाले विकारों को जानना महत्त्वपूर्ण है। विटामिन्स का प्रयोग एक निश्चित मात्र में ही करना चाहिये, क्योंकि विटामिन का अधिक उपयोग भी शरीर के लिये हानिकारक हो सकता है। अतः आवश्यकता अनुसार चिकित्सक से परामर्श लेकर विटामिन को संतुलित किया जा सकता है। जिससे व्यक्ति अनेक प्रकार की व्याधियों से सुरक्षित होता है और उसका शरीर स्वस्थ, तंदुरूस्त, हष्ट-पुष्ट बनता है। कहा जाता है प्रथम सुख निरोगी काया जो बहुत हद तक हमारे भोजन, कार्य और शरीर की देख-भाल पर निर्भर करता है। इसलिये जो भी अपने जीवन में प्रथम सुख की इच्छा रखते है, उन्हें विटामिन्स युक्त भोजन, व्यायाम, प्राणायाम, योग, ध्यान, आसन आदि का आश्रय लेना चाहिये।
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