मनुष्य का शरीर अपने आप में सृष्टि के सारे क्रम को समेटे हुये है। इस क्रम के सुदृढ़ता पर ही मनुष्य जीवन की गति निर्धारित होती है। यदि इस क्रम में कोई न्यूनता आती है तो मनुष्य की आन्तरिक व्यवस्था में ह्रास होता है, जिसके कारण आत्म विश्वास, ऊर्जा, दृढ़ता व संकल्प शक्ति की कमी मनुष्य में व्याप्त हो जाती है। इससे मानसिक शक्ति, इच्छा की हानि होती है, व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता क्षीण होती है, यह सब दोष सूर्य तत्व के जाग्रत ना होने के कारण होता है।
जिस व्यक्ति में सूर्य तत्व जाग्रत होता है, उसके व्यक्तित्व में एक अलग ही तेज, प्रभाव, नेतृत्व क्षमता व आत्म विश्वास झलकता है। सूर्य प्रधान व्यक्ति सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँचता है। सूर्य उपासना से उनकी अनन्त शक्ति से सामंजस्य बन जाता है, जिससे व्यक्ति श्रेष्ठ सफलता अर्जित कर अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हुये जीवन को सर्व सुख-भोगमय बना पाता है।
इस सूर्य ग्रहण के शुभ अवसर पर सद्गुरूदेव कैलाश श्रीमाली जी द्वारा सूर्य तेजस्विता मनोकामना पूर्ति दीक्षा प्रदान की जायेगी। जिससे की हमारे जीवन की कालिमा, अंधकार व अनेक-अनेक कामनाओं, इच्छाओं पर लगे हुये कुप्रभाव से मुक्ति हो सकेगी, साथ ही अपके जीवन वृद्धि मे सूर्य का तेज उच्चता प्राप्ति में सहायक होगा। सूर्य की अनन्त शक्तियों द्वारा भौतिक जीवन की सभी उपलब्धियों की प्राप्ति सरलता से होती ही है।
प्रत्येक दीक्षार्थी सूर्यदेव की विशिष्ट चेतना शक्ति स्वः के भीतर समाहित कर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता का परचम लहराने में सफल होता है। सूर्य तेजस्विता मनोकामना पूर्ति दीक्षा ग्रहण करने से जीवन में अभूतपूर्व उत्साह, जोश, उमंग की प्राप्ति के साथ सर्व सम्मोहन की चेतना द्वारा व्यक्ति प्रत्येक क्षेत्र सिद्धहस्त और सफल बनता है। उसके अन्दर अडिगता तथा दृढ़ संकल्प जैसे गुणों का समावेश होने लगता है, वह रोगो से मुक्त हो जाता है और एक अद्वितीय तेजस्विता साधक की देह में समाहित होकर समस्त विषम परिस्थितियों को सामाप्त कर देती है।