हमारा जन्म किस कुल-समाज में हुआ है, उसे हम परिवर्तित नहीं कर सकते, हमारे रूप, संरचना के भी कारक हमारे माता-पिता है, जिसे हम नहीं बदल सकते, हमारे सगे-संबंधी, पड़ोसियों, बुनियादी शिक्षा को भी हम काफी हद तक नहीं बदल सकते, ये जो शरीर आपको मिला है, वो भी आपके अपने स्वयं के प्रयत्नों से नहीं मिला है अपितु आपके माता-पिता के योग से मिला है, तो इस पर व्यर्थ चिन्तन कर आप अपना समय ही बर्बाद कर रहे है। आप जो स्वयं के हित के लिये या अपनी परिस्थिति को अनुकूल या लाभकारी बनाने के लिये जो परिवर्तन कर सकते हैं, वो है उच्च लोगों की संगत से, सद् जनो से, गुरू के ज्ञान से, अगर आप सफल लोगों के संग रहेंगे तो आप भी उन्हीं की भांति कार्यरत रहेंगे, आप अपनी सोच को सकारात्मकता की ओर विकास की ओर ले जाने से आप बहुत कुछ बदल सकते हो, किसी भी सफल कार्य के पीछे उसमें कार्यरत लोगों की सोच ही होती है। जो आपके जीवन की कष्टकारी ऊबाऊ परिस्थिति है उसे सही राह पर लाने के लिये आपको सही संगत सही सोच के साथ जीवन में तप-शक्ति, साधना-शक्ति का योग होना अनिवार्य होगा। यहाँ साधना का अर्थ केवल घंटों दीपक लगाकर माला घिसना नहीं है परन्तु जो आप पाना चाहते है उसके लिये रोज नियम बद्ध तरीके से प्रयास करना है- जो सद् स्थिति आपके अपने जीवन में तभी आयेगी जब आप उसे पाने के लिये तप करेंगे। एक मुर्ख की भांति आप जीवन भर भागते रहोगे, बोझ ढोते रहोगे पर अपनी परिस्थितियों को तब तक नहीं बदल सकोगे, जब तक अपने जीवन में सही संगत, सही सोच, व तप शक्ति,साधना शक्ति का योग नहीं होगा। इस सृष्टि में निहित शक्ति, ईश्वर, गुरू तभी आपके सहायक होंगे जब आप इस योग को अपने जीवन में लायेंगे, केवल अच्छी सोच या संगत से स्थिति नहीं बदलेगी।
मंत्र और साधना तो आपको गुरू देंगे पर साधना तो आपको ही पूर्ण करनी है, मार्ग तो आपको गुरू दिखा देंगे पर चलना तो आपको ही है।
साधक अपने जीवन के कष्टों के, भौतिक व साधनात्मक समस्याओं के निराकरण व मार्गदर्शन के लिये अपने गुरू के पास आते हैं, अधिकतर साधक गुरू के निर्देशों का पालन करते है व अपने गुरू पर पूर्ण विश्वास रखते है, पर कुछ अपने अनुभव व ज्ञान का झांसा देकर भोले-भाले शिष्यों को भ्रमित करते है। अत: साधक दीक्षा व साधना सामग्री केवल कैलाश सिद्धाश्रम से ही प्राप्त करे।
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर शाहजहाँपुर (U.P.) में 04-05 मई को छिन्नमस्ता नृसिंह जयंती युक्त चन्द्रग्रहण बुद्ध पूर्णिमा अहं ब्रह्मास्मि धनदा साधना महोत्सव का आयोजन हो रहा है, इस अवसर पर कैलाश सिद्धाश्रम परिवार आप सभी को आमंत्रित करते हैं।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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