जीवन की अनेक विपदा रूपी बाधाओं के कारण व्यक्ति अपने भौतिक और आध्यात्मिक जीवन में सामान्य सुख से वंचित रह जाता है। जीवन नित्य घोर तनाव, चिंता, भय से भरा होता है। उसे हर पल किसी ना किसी भी विषय-वस्तु की चिंता सताती रहती है। जिसके कारण जीवन में वह सब प्राप्त करने की इच्छा जो एक व्यक्ति की होती है, निरन्तर बाधाओं के कारण वह नहीं कर पाता है। ऐसे समय में अन्य किसी देवता की उपासना इतनी फलप्रद सिद्ध नहीं होती, जितनी कि गुह्यकाली के आर्शीवाद से फलप्रद और सुखदायक होती है। जीवन को निरापद बनाने के लिये एकमात्र गुह्यकाली ही ऐसी शक्ति हैं, जो अपने-आप जीवन को पूर्ण सुरक्षित और उन्नतिशील बनाती हैं।
इसी हेतु सिद्धाश्रम चेतना दिवस के अवसर पर सद्गुरूदेव जी द्वारा सिद्धाश्रम की दिव्य चेतना युक्त गुह्यकाली महाघोर प्रयोग से यह ‘‘सिद्धाश्रम चेतना युक्त गुह्यकाली विपदा निवारक कवच’’ को प्राण प्रतिष्ठा कर चेतन्य किया गया है। इसके निरन्तर धारण करने से सिद्धाश्रम की चेतना प्रभाव से साधक के मन, व्यावहारिक, सामाजिक एवं भौतिक पक्ष का कायाकल्प होने के साथ-साथ गुह्यकाली की प्रभाव से जीवन समृद्धिमय, ऐश्वर्य और तनाव, चिंता, भय तथा सारे विपदा के निवारण हो जाते है। यह कवच संन्यासियों तथा गृहस्थ व्यक्तियों के लिये आवश्यक और अनिवार्य है।
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