स्वस्थ रहने के लिए हेल्दी डाइट बहुत जरूरी है, डाइट में फलों का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। ज्यादातर लोग सेब, संतरा या अनार खाते हैं, लेकिन कुछ फल ऐसे भी हैं जिनको सेहत के लिये काफी लाभकारी माना जाता है और उन्हीं में से एक है रास्पबेरी। रास्पबेरी को ‘रसभरी’ भी कहा जाता है, जो स्वाद के साथ सेहत के गुणों से भरपूर मानी जाती है।
सब्जियों के साथ-साथ फलों का सेवन भी स्वास्थ्य के लिये जरूरी होता है। ऐसे फलों में रसभरी का नाम भी आता है। यह फल दिखने में जितना आकर्षक होता है, उससे कहीं ज्यादा गुणकारी है। माना जाता है कि यह फल हमें सेहतमंद रखने में मदद करता है। वहीं, अगर कोई अस्वस्थ है, तो रसभरी बीमारियों के कुछ लक्षणों को कम करने में मदद करती है। रसभरी एक रसदार फल होता है, जो गुलाब परिवार से संबंधित है। यह फल कई रंगों में पाया जाता है जैसे – लाल, काले व बैंगनी। यह बहुत ही स्वादिष्ट फल होता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-सी और अन्य जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिस कारण यह बहुत ही गुणकारी फल माना जाता है।
रसभरी के फायदों में कैंसर से बचाव भी शामिल है। ब्लैक रासप्बेरी विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-ई, फोलिक एसिड़, कैल्शियम, सेलेनियम, इलाजिक एसिड, फेरुलिक एसिड, क्वेरसेटिन और एंथासायनिन्स आदि जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है। ये सभी गुण काफी हद तक कैंसर से बचाव में सहायक हो सकते हैं।
मधुमेह के रोगियों को मीठा संतुलित मात्रा में या ना के बराबर खाने की सलाह दी जाती है। ऐसे में अगर किसी को डायबिटीज है, तो वो डॉक्टर की सलाह पर संतुलित मात्रा में रसभरी का सेवन कर सकते हैं। यह फल न सिर्फ मीठा खाने की इच्छा को पूरा कर सकता है, बल्कि ब्लड ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित रखने में मदद कर डायबिटीज के जोखिम को कम करता है। ध्यान रहे कि इसके साथ मधुमेह के लिए दवाइयों का सेवन भी जरूरी है।
आँखों को स्वस्थ रखने के लिए भी रसभरी का सेवन किया जाता है। गहरे रंग के फल जैसे – स्ट्रॅाबेरी, ब्लैकबेरी और रास्पबेरी में फेलेवोनॉइड और पॉलीफेनोलिक यौगिक के साथ-साथ कई अन्य गुण भी मौजूद हैं, जो आँखों को स्वस्थ रखने में मददगार साबित होते हैं।
रसभरी हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है। रसभरी में एंटीऑक्सीडेंट जैसे-ऐंथोसायनिन और ऐलाजिटैनिन मौजूद होते हैं, जो हानिकारक कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल को कम करने या संतुलित रखने में मदद करते हैं, जिस कारण कई हृदय संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है। वहीं रसभरी में फाइबर भी होता है और स्वस्थ हृदय के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ लाभकारी होते हैं।
बढ़ती उम्र या फिर पोषक तत्वों की कमी के कारण हड्डियों से संबंधित समस्याएं भी होने लगती है। ऐसे में जरूरी है कि वक्त रहते इन पर ध्यान दिया जाए। हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए भी रसभरी का सेवन किया जा सकता है। रसभरी में विटामिन-सी के साथ-साथ ऐंथोसायनिन, क्वेरसेटिन जैसे पॉलीफेनोल मौजूद होते हैं, जो आँस्टियोअर्थराइटिस से बचने में मदद करते हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, युवा जीवन शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी हो जाता है। विटमिन-सी की भरपूर मात्रा के कारण, रसभरी इस प्रयास में सहायता प्रदान करती है। कोलेजन उत्पादन में विटामिन-सी महत्त्वपूर्ण है और स्वस्थ उम्र बढ़ने के लिए त्वचा की लोच बनाए रखने के लिए आवश्यक है। रसभरी त्वचा पर उम्र बढ़ने के प्रभावों का मुकाबला करने और अधिक युवा दिखने में मदद करते हैं।
कई लोगों की भूलने की आदत होती है, जो शुरूआत में तो बहुत सामान्य लग सकती है, लेकिन अगर इस पर ध्यान न दिया जाये, तो यह अल्जाइमर जैसी भूलने की बीमारी बन सकती है। ऐसे में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइन्फेलेमेटरी पॉलीफेनोलिक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे – रास्पबेरी के सेवन से याददाश्त में सुधार किया जा सकता है। इसलिये भूलने की आदत को अनदेखा न करते हुए अपने आहार में रसभरी को अवश्य शामिल करें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाए रखने के लिए रसभरी पर भरोसा किया जा सकता है। रसभरी में विटामिन-सी मौजूद होते हैं। विटामिन सी इम्यून पावर को बढ़ाने में मदद करता है। इस प्रकार रसभरी जैसे छोटे-से फल के सेवन से कई बीमारियों के जोखिम से बचा जा सकता है। इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए रसभरी का इस्तेमाल अत्यन्त लाभकारी होता है।
पिरियड्स के दौरान महिलाओं को कई परेशानियां जैसे – पेट में दर्द, ऐंठन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कुछ महिलाएं इन समस्याओं से राहत पाने के लिए दवाइयों का सहारा भी लेती हैं, जिसके नुकसान भी हो सकते हैं। ऐसे में घरेलू उपायों की सहायता लेना फायदेमंद हो सकता है। रसभरी की पत्तियों की चाय का सेवन किया जा सकता है। इसके सेवन से ऐंठन की समस्या काफी हद तक कम हो जाती हैं। अगर फिर भी दर्द कम न हो, तो डॉक्टर से सलाह लेने में देरी न करें।
रसभरी में एंटीबैक्टीरियल गुण भी मौजूद होते हैं। रसभरी जूस का एंटीबैक्टीरियल गुण कुछ खास तरह के बैक्टीरिया जैसे – साल्मोनेला, शिगेला और ई.कोलाई को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। रसभरी में एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि हो सकती है, जो दिल की बीमारियों के लिए फायदेमंद होती है। इसके अलावा रसभरी ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित कर सकती है।
इंसुलिन के कामकाज में गड़बड़ी और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन, जलन में बढ़ोतरी अल्जाइमर रोग की पहचान हो सकती है। रसभरी में पॉलीफेनोल्स जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं जो इंसुलिन लेवल को नियंत्रित करते हैं, सूजन, जलन को कम कर सकते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं।
रसभरी में मौजूद लिनोलिक एसिड शरीर में ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करने के लिये फायदेमंद होता है। डिसलिपिडेमिया नाम की समस्या ट्राइग्लिसराइडस की अधिकता के कारण होती है, जो शरीर में मौजूद हानिकारक फैट है। इसलिये रसभरी डिसलिपिडेमिया के लिये भी फायदेमंद होती है।
रसभरी शरीर में मुक्त कणों को स्थिर करने में भूमिका निभाती है, जो समग्र स्वास्थ्य में योगदान देती है। मुक्त कण अत्यधिक प्रतिक्रियाशील अणु होते हैं जो अनियंत्रित रहने पर कोशिकाओं और ऊतकों को नुकसान पहुँचा सकते हैं। रसभरी का सेवन करके व्यक्ति मुक्त कणों को बेअसर करने और अपनी कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। आहार में रसभरी को शामिल करना शरीर की प्राकृतिक रक्षा तंत्र का समर्थन करने और इष्टतम स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका होता है।
लाल रसभरी क्वेरसेटिन से भरपूर होते हैं, एंटीहिस्टामाइन गुणों वाला एक फलेवोनोइड। यह हिस्टामाइन की रिहाई को रोक सकता है। हिस्टामाइन एक यौगिक है जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का एक हिस्सा है और सूजन पैदा करने के लिये जिम्मेदार है। यह एंटीहिस्टामाइन कई प्रकार की एलर्जी जैसे बहती नाक, पित्ती, आँखों से पानी आना और कई अन्य सूजन को कम करने में मदद करता है।
आज के समय में मानव शरीर बहुत कमजोर होता है जिसकी वजह से वह भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों की चपेट में आ जाता है। पीलिया से छुटकारा पाने के लिए आप रसभरी की कुछ पत्तियां लें। अब इन्हें अच्छी तरह से धो लें जिससे इन पर से धूल मिट्टी निकल जाये। अब इन पत्तियों को अच्छी तरह से बारीक पीस लें। अब इन बारीक पिसी हुई पत्तियों से रस निकाल लें और इस रस को तीन या चार चम्मच की मात्रा में पानी में मिलाकर पी लें। ऐसे करने से पीलिया रोग ठीक हो जायेगा।
आज के समय में लोगों को नींद बहुत कम आती है जिसकी वजह से उनकी आँखों के नीचे काले घेरे भी पड़ जाते हैं। अगर आपको भी नींद न आने की बीमारी है तो आप रसभरी के पौधे की जड़ को पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। आप इस काढ़े को चीनी या गुड के साथ पी सकते है। इससे आपकी नींद न आने की समस्या ठीक हो जायेगी।
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