मातृ-पितृ देवो भवो, इसका तात्पर्य है माता-पिता देवता के समान होते है। इसीलिये जिस घर में माता-पिता का सम्मान, सेवा व आज्ञा पालन होती है उस घर में निरन्तर सुमंगलमय स्थितियों में वृद्धि होती ही है। हमारे पूर्वज, हमारे माता-पिता, दादा-दादी, सास-ससुर जो वर्तमान में शारीरिक रूप से हमारे साथ नहीं है परन्तु उनका स्मरण कर कृपा व आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु प्रति वर्ष पितृ पक्ष में तर्पण क्रिया सम्पन्न की जाती है। पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज आत्मीय रूप में इस धरती पर अपने परिवार जनों को आशीर्वाद प्रदान करने आते है। अत: पितृ पक्ष पर अपने पूर्वजों की विधि-विधान अनुसार श्राद्ध, तर्पण व पिण्ड दान की क्रिया करने से प्रसन्न होकर परिवार के सदस्यों को सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, आरोग्यता, संतान सुख, धन लक्ष्मी, पारिवारिक सुख, आत्मीय प्रेम, सामंजस्य, कुल-वंश वृद्धिमय सुस्थितियों का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
अत: पारिवारिक जीवन में उक्त सुमंगलमय सुस्थितियों की प्राप्ति के लिये पूर्वजों का आशीर्वाद आत्मसात करना परम् आवश्यक होता है। इस हेतु पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिये सद्गुरूदेव जी द्वारा विधि-विधान अनुसार पूजा, साधना, मंत्र जप युक्त पिण्ड दान व तर्पण की क्रिया सम्पन्न करेंगे। सर्व मातृ-पितृ शांति मंगलमय धन लक्ष्मी प्राप्ति दीक्षा प्रदान करेंगे। जिससे जीवन में उक्त सुस्थितियां व पूर्वजों का आशीर्वाद निरन्तर प्राप्त हो सकेगा।
भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक में श्राद्ध पक्ष की क्रियायें सम्पन्न करनी ही चाहिये। इस पक्ष की पूर्णता सर्व पितृ अमावस्या को उन प्रियजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अस्वाभाविक मृत्यु हुयी हो। ऐसी आत्मायें अपने अपूर्ण इच्छाओं के कारण मुक्त नहीं हो पाती है और घर में ही मंडराती है। इनकी मुक्ति व मोक्ष प्राप्ति हेतु विशेष पूजा-साधना सम्पन्न कर श्राद्ध, तर्पण, पिण्ड दान किया जाता है। ऐसे में उनके आत्मीय होने के नाते हमारा कर्त्तव्य बनता है कि, हम उनकी इच्छा पूर्ण करें और श्रेष्ठ मार्गदर्शन द्वारा उनका भटकाव समाप्त कर विष्णु लोकमयता की ओर अग्रसर करें।
इस हेतु अकाल मृत्यु प्राप्त प्रियजनों की इच्छापूर्ति व उनकी आत्मा की शांति के लिये आपके मार्गदर्शक सद्गुरूदेव जी द्वारा सूर्यग्रहण युक्त सर्व पितृ अमावस्या 02 अक्टूबर को विधि-विधान अनुसार साधना, पूजा, मंत्र जप सम्पन्न कर अकाल मृत्यु पितरेश्वर मुक्ति आत्म शांति सुख प्राप्ति दीक्षा प्रदान करेंगे। जिससे वर्तमान में पारिवारिक सदस्यों का जीवन शतायुमय, सुख-सौभाग्य, आत्मीय प्रेम, सुसंस्कार संतान, कार्य-रोजगार, कुल-वंश वृद्धिमय सुस्थितियों का विस्तार हो सकेगा।
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