उदाहरण के तौर पर शिव से सम्बन्धित कई साधनाएं है। उनके पशुपति स्वरूप से सम्बन्धित कई साधनाएँ है और इस तरह उनके विभिन्न स्वरूप जैसे रूद्र, भूतनाथ, शंकर, पिनाकधारी आदि से सम्बन्धित कई-कई साधनाएं शास्त्रों में प्राप्त होती है… ठीक ऐसी ही स्थिति हर देवी देवताओं के साथ है……
कामदेव, सौंदर्य और प्रेम के देवता है और सही कहूं तो वे प्रेम के ही देवता है, इच्छाओं, आकांक्षाओ के देवता है…. उनके कई नाम प्रचलित है जैसे मनोज, मदन, कंदर्प, रतिसरवा आदि …… और इन्हीं नामों में से एक प्रमुख नाम है ‘पुष्पधन्वा’
पुष्पधन्वा का अर्थ है पुष्पों के धनुष-बाण जिसके अस्त्र हों। पुष्पधन्वा का स्वरूप बड़ा ही मनोहर एवं सौंदर्ययुक्त है। ये अपने हाथ में पुष्पों का धनुष लिये रहते है और इनके तरकश में पुष्पों से ही निर्मित पांच बाण है, जो अपने आपमें सभी प्रकार की कामनाओं को समेटे हुए है…..
और ये पांच बाण अपने आप में अद्वितीय है और इन पांच बाणों के अंदर ही विश्व की समस्त सम्पदाएँ निहित है। इन बाणों की विशेषताएं और नाम प्रस्तुत है-
यह बाण बड़ा ही अद्भूत है और इसके द्वारा किसी में भी अद्भूत सौंदर्य एवं आकर्षण का संचार किया जा सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति खुद अत्यधिक सम्मोहक हो जाता है और पूरा संसार उसके इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लग जाता है।
इसके द्वारा व्यक्ति के अंदर अपूर्व पौरूष का संचार होता है। अगर कोई रोग या कमजोरी हो तो वह स्वतः दूर हो जाती है। उसे पूर्ण वैवाहिक सुख प्राप्त होता है और उसका सारा जीवन आनंदमय हो जाता है।
इससे व्यक्ति समस्त संसार में किसी भी इच्छित क्षेत्र में अत्यधिक सफलता प्राप्त करता है। उसका यश पूरे विश्व में कस्तूरी की सुगंध की तरह फैलता है और समाज में उसे सहज ही मान, पद, धन, प्रतिष्ठा प्राप्त हो जाती है।
इसके द्वारा व्यक्ति की जितनी भी दबी हुई इच्छाएँ है, जो वह किसी से कह नहीं पाता पूरी हो जाती है। उसकी सारी कामनाएँ, आकांक्षाएं, इच्छाएं पूर्ण होती है, जिसके फलस्वरूप वह अत्यधिक सुखद जीवन व्यतीत कर पाता है।
यह पुष्पधन्वा का बड़ा ही तेजस्वी बाण है और यदा-कदा इसका प्रयोग ‘देवता’ आसुरिक व दानवीय शक्तियों पर विजय प्राप्त करने हेतु करते रहे है। इस बाण के द्वारा व्यक्ति हमेशा हर क्षेत्र में विजय लाभ प्राप्त करता है और वह जीवन में कभी परास्त नहीं होता।
पुष्पधन्वा के बाणों का यह विवरण अत्यंत संक्षिप्त में ही किया गया है, क्योंकि वास्तव में तो ये पांच दिव्य आशीर्वाद है, जिन्हें व्यक्ति यदि प्राप्त कर लेता है, तो वह स्वतः ही प्रेम आदि सब कुछ प्राप्त करने में सफल हो जाता है।
आजकल के जीवन में वैसे भी हर व्यक्ति परेशान ही है। किसी का व्यक्तित्व प्रभावशाली नहीं है, जिसकी वजह से हर जगह मात खानी पड़ती है, तो किसी के घर में धन का अभाव है, किसी को योग्यता के अनुसार पद नहीं प्राप्त हो रहा, कोई शत्रुओं से परेशान है, तो कोई प्रेम में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहा है।
और इन सभी परेशानियों का एक ही हल है-पुष्पधन्वा साधना।
……. पर पुष्पधन्वा साधना ही क्यो?
सर्वप्रथम तो यह एक लघु एवं एक दिवसीय साधना है, जिसे कोई भी संपन्न कर सकता है।
दूसरा, यह साधना स्त्री-पुरूष, बालक-वृद्ध कोई भी संपन्न कर सकता है। धर्म, जाति आदि का कोई बंधन नहीं है। तीसरा, यह साधना अत्यधिक सौम्य साधना है और चूंकि पुष्पधन्वा बहुत ही जल्दी प्रसन्न होने वाले देव है, इसलिये यह साधना असफल होती नहीं दिखी गई है।
तो अगर आप जीवन में एक आनंद का निर्झर बहाना चाहते है, अद्वितीय व्यक्तित्व के साथ यश, मान, प्रतिष्ठा के आकांक्षी है, अगर अपने प्रेमी/प्रेमिका का हृदय जीतना चाहते है तो यह साधना आपको करनी ही चाहिये।
जैसा की पहले बताया जा चुका है, यह साधना एक दिवसीय है। इसमें ‘पुष्पधन्वा दिव्य यंत्र’ कामदा माला एवं गुलाब के पुष्पों की आवश्यकता होती है।
यह साधना किसी भी रविवार की मध्यरात्रि में संपन्न करनी चाहिये। साधक स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर सफेद आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठें और अपने सामने सफेद वस्त्र से ढके बाजोट पर ‘पुष्पधन्वा दिव्य यंत्र’ स्थापित कर उसका विधिवत पंचोपचार पूजन करें। इसके उपरांत यंत्र पर गुलाब के पुष्प अर्पित करें और ‘कामदा माला’ का भी लघु पूजन संपन्न करें। फिर उस माला से निम्न मंत्र की 24 मालाएं मंत्र जप करें-
यह मंत्र बड़ा ही तेजस्वी और शीघ्र फल देने वाला है। कहते हैं, कि तीन माह तक अपने सामने पुष्पधन्वा दिव्य यंत्र रख कर अगर रोज सवेरे इस मंत्र का 21 बार उच्चारण कर लिया जाए, तो भी व्यक्ति सौंदर्य, सम्मोहन से युक्त अद्भूत व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है।
साधना के उपरांत साधक समस्त साधना सामग्री को एक पोटली में बांधकर दूसरे दिन किसी जलाशय में अर्पित कर दें। ऐसा करने से साधना फलीभूत होती है और व्यक्ति को दैव्य, रति, कीर्ति, काम्य और विजय की स्थिति अपने जीवन में स्वतः ही प्राप्त होने लग जाती है। उसका सारा जीवन बदलने लगता है और वह खुद एक नए व्यक्तित्व का स्वामी हो जाता है।
वास्तव में ही बड़े सौभाग्यशाली है वे, जो इस साधना को संपन्न कर पाते हैं।
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