यदि सत्य बात कही जाये तो मनुष्य, मनुष्य को धोखा दे सकता है, मनुष्य से विश्वासघात कर सकता है। मनुष्य, मनुष्य की हत्या कर सकता है, या उसे पीड़ा पहुँचा सकता है, या उसके लिये परेशानियाँ पैदा कर सकता है। पर मनुष्य के अलावा इतर योनियाँ न तो विश्वासघात कर सकती है, न धोखा देती है, न उसके लिये किसी प्रकार की परेशानियाँ उत्पन्न करती हैं, वे तो उल्टे मनुष्य के लिये सहायक और उपयोगी हैं।
साधारणतः मनुष्य जीवन में कुछ ऐसी समस्यायें है, जिनसे वह पूर्णतः निजात पाना चाहता है- 1. स्वयं और सम्पूर्ण परिवार को पूर्णतः अरोग्यम, रोगमुक्त रहना चाहता है।, 2. ऋणी व्यक्ति जब तक ऋण-ग्रस्त रहता है, तो व्यक्ति के जीवन में यश, प्रतिष्ठा, सम्मान आदि धूमिल हो जाता है। अतः वह ऋण-बोझ से मुक्त होना चाहता है।, 3. यदि पति-पत्नी में कटुता हो तो पूरे परिवार में प्रभाव पड़ता है, अतः पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम, मधुरता, स्नेह, सहयोग आदि सद्गुणों का विस्तार करना चाहता है।, 4. शत्रुओं द्वारा कार्य-व्यापार में कुक्रियाओं से प्रभावित राज्य भय से मुक्त व निडर बनना चाहता है, साथ ही अपने व्यवसाय की सुरक्षा चाहता है।, 5. अनेक प्रकार की व्याधियों व चिंताओं से ग्रसित व्यक्ति अपने कार्यों में असफल ही रहता है, अतः चिंताओं को भस्म करना चाहता है।
ऐसी ही अनेक समस्यायें लगभग हर गृहस्थ के सम्मुख रहती ही है और वह इन समस्याओं को मूल से समाप्त करना चाहता है। नील पिशाचिनी ऐसी सौम्य-रक्षात्मक यक्षिणी है जो अपने साधक को उक्त विषमताओं से सुरक्षा प्रदान करती है। साधक के जीवन में आने वाली परेशानियों को पूर्व में ही समाप्त कर देती है, साथ ही भौतिक जीवन की पूर्णता में सहयोग प्रदान करती है। अतः ऐसे दिव्य पर्व पर यह दीक्षा ग्रहण करने से उपरोक्त सभी विषम परिस्थितियों को समाप्त किया जा सकता है।
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