साल 1984 में भारत सरकार ने इस दिन को पहली बार ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के तौर पर घोषित किया और अगले साल 1985 से इसे हर साल मनाया जा रहा है। यह दिन स्वामी विवेकानन्द और उनके विचारों को याद करने-प्रेरणा लेने के लिये प्रोत्साहित करता है।
उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाये जाने का प्रमुख कारण उनका दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं, जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्थापित किया। उनके ये विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। उनके लिये प्रेरणा का एक उम्दा स्त्रोत साबित हो सकते हैं।
स्वामी विवेकानंद, युवाओं को जीवन में बेहतर करने और आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित करते थे।
वह कहते थे- युवा देश के भविष्य हैं और आगे चलकर देश को संभालेंगे।
अपने विचारों और आदर्शों के लिये मशहूर स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य सभी के विशेषज्ञ थे। युवा दिवस का उद्देश्य जीवन में आने वाली चुनौतियों, परेशानियों को देखना, समझना और उन्हें दूर करने के प्रयास को लेकर युवाओं को प्रेरित करना भी है।
राष्ट्रीय युवा दिवस, देश के बेहतर भविष्य के लिये युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के संकल्प का अवसर है। स्वामी विवेकानन्द की विचारधाराओं से प्रेरणा लेकर देश के सतत विकास में भागीदारी सुनिश्चित करने में युवाओं को मदद मिल सकती है। ये दिन युवाओं को अनूठे तरीकों से अपनी प्रतिभा और क्षमता दिखाने, छोटी उम्र से बड़े सपने देखने और उन सपनों को पूरा करने का भी समय होता है।
युवा दिवस के मौके पर देश के सतत विकास लक्ष्यों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है, ताकि युवा वर्ग रोजगार, काम एवं व्यवसाय जैसी जरूरी कौशल के साथ, समाज, देश और संपूर्ण विश्व के विकास में अग्रिम भूमिका निभा सकें। युवाओं को स्वयं के महत्त्व को समझने और कौशल विकास के समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करने का भी अवसर है। स्वामी विवेकानंद के बताये मार्ग पर चलकर देश-समाज के विकास में मदद की जा सकती है।
किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं। उन्हीं के हाथों में देश की उन्नति की बागडोर होती है। आज के पारिदृश्य में जहाँ चहुं ओर भ्रष्टाचार, बुराई, अपराध का बोलबाला है जो घुन बनकर देश को अंदर ही अंदर खाये जा रहे हैं। ऐसे में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है। विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है जो सारे युवाओं को नई चेतना से भर दे। उनके दिलों को भेद दे। उनमें नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार कर दें।
स्वामी विवेकानंद जी की ओजस्वी वाणी भारत में तब उम्मीद की किरण लेकर आई जब भारत पराधीन था और भारत के लोग अंग्रेजो के जुल्म सह रहे थे। हर तरफ सिर्फ दुःख और निराशा के बादल छाये हुये थे। उन्होंने भारत के सोये हुये समाज को जगाया और उनमें नई ऊर्जा-उमंग का प्रसार किया।
सन् 1897 में मद्रास में युवाओं को संबोधित करते हुये कहा था ‘‘जगत में बड़ी-बड़ी विजयी जातियाँ हो चुकी हैं। हम भी महान विजेता रह चुके हैं। हमारी विजय की गाथा को महान सम्राट अशोक ने धर्म और आध्यात्मिकता की ही विजयगाथा बताया है और अब समय आ गया है भारत फिर से विश्व पर विजय प्राप्त करें। यही मेरे जीवन का स्वप्न है और मैं चाहता हूँ कि तुम में से प्रत्येक, जो कि मेरी बातें सुन रहा है, अपने-अपने मन में उसका पोषण करें और कार्यरूप में परिणत किये बिना न छोड़े।’’
हमारे सामने यही एक महान आदर्श है और हर एक को उसके लिये तैयार रहना चाहिए, वह आदर्श है भारत की विश्व पर विजय। इससे कम कोई लक्ष्य या आदर्श नहीं चलेगा, उठो भारत…तुम अपनी आध्यात्मिक शक्ति द्वारा विजय प्राप्त करो। इस कार्य को कौन संपन्न करेगा?
स्वामीजी ने कहा ‘‘मेरी आशायें युवा वर्ग पर टिकी हुई हैं’’।
स्वामी जी को युवाओं से बड़ी उम्मीदें थीं। उन्होंने युवाओं की अहं की भावना को खत्म करने के उद्देश्य से कहा है ‘‘यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खड़े हो जाओगे, तो तुम्हें सहायता देने के लिये कोई भी आगे न बढ़ेगा। यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले ‘अहं’ ही नाश कर डालो।’ उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहारों में शुद्धता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत रहने का संदेश दिया।
स्वामी विवेकानंद का सिर्फ 39 वर्ष का जीवनकाल कई मायनों में आज के युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि हर युवा राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकता है। ऐसे में युवाओं को अपने सामर्थ्य का उचित प्रयोग करना चाहिये। ऐसें युवाओं को आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से स्वामी विवेकानंद कहते थे, “अपनी आरामदायक (कंफर्ट जोन) से बाहर निकलो और अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये प्रयास करके उसे प्राप्त करो उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये।”
आज भी स्वामी विवेकानंद को उनके विचारों और आदर्शों के कारण जाना जाता है। आज भी वे कईं युवाओं के लिये प्रेरणा के स्त्रोत बने हुये हैं।
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