परन्तु इस बात का ध्यान रहे कि वशीकरण के द्वारा सामने वाले व्यक्ति का अहित नहीं होना चाहिये और न ही उसका नुकसान करने की भावना मन में होनी चाहिये।
यों तो यह वशीकरण प्रयोग किसी भी रविवार की रात्रि को किया जा सकता है परन्तु कुछ दिन इस प्रकार के तंत्र के लिये विशेष महत्त्वपूर्ण कहे गये है। जैसे- सूर्य ग्रहण, चन्द्र ग्रहण, अमावस्या की रात्रि, होली की रात्रि, दीपावली की रात्रि, नवरात्रि के दिनों में या किसी भी रविवार की रात्रि में।
संयोग से 29 मार्च 2025 को सूर्य ग्रहण है अतः इस दिन यदि इस प्रयोग को किया जाय तो अचूक प्रभाव उत्पन्न होता है, और सफलता का अवसर ज्यादा होता है।
इस प्रयोग को कोई भी किसी पर भी कर सकते है। उदाहरण के लिये प्रेमिका बेवफा हो गई है, तो उस पर इस प्रयोग को सम्पन्न किया जा सकता है। यदि पत्नी से मतभेद है या पति किसी और स्त्री में अनुरक्त हो गया है तो भी उस पर यह प्रयोग कर सकते है। पुत्र आज्ञापालन नहीं कर रहा है और गलत संगति में है, या पुत्री ज्यादा स्वच्छन्द हो गई है तो इस प्रकार के प्रयोग को करने में कोई हानि नहीं होती, इसी प्रकार अपने शत्रु पर, अपने अधिकारी पर, या अपने कर्मचारियों पर यह प्रयोग कर उन लोगों को अपने अनुकूल बनाया जा सकता है।
यह प्रयोग अपने आप में सरल और सामान्य है, तथा कोई भी व्यक्ति पुरूष या स्त्री इसी प्रकार के प्रयोग को संपन्न कर सकते है। इस प्रयोग के लिये ताम्र पर अंकित ‘वशीकरण यंत्र’ की आवश्यकता होती है। साधक चाहे तो भोज पत्र पर वशीकरण यंत्र को अंकित कर उसके माध्यम से भी वशीकरण क्रिया संपन्न कर सकता है परन्तु इस बात का ध्यान रहे कि यंत्र प्रामाणिकता के साथ अंकित किया हुआ हो, और वह सिन्दूर से लिखा हुआ हो।
यदि आपके पास ताम्र पत्र पर अंकित वशीकरण यंत्र है तो उस यंत्र का प्रयोग आप कर सकते है, परन्तु एक यंत्र पर एक ही बार प्रयोग किया जा सकता है।
पुरूष या स्त्री जो वशीकरण करना चाहता है वह स्नान कर सफेद धोती पहिन लें, स्त्री हो तो सफेद साड़ी धारण कर लें, और फिर सफेद आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह कर बैठ जाये, सामने एक चावलों की ढ़ेरी बनाकर उस पर तेल का दीपक लगा दें इसमें किसी भी प्रकार के तेल का प्रयोग हो सकता है दीपक की लौ साधक की ओर होनी चाहिये।
फिर सामने तांबे की या स्टील की एक प्लेट रख दें और उस में ‘वशीकरण यंत्र’ रख दें। आप जिसको वश में करना चाहते है यदि उसका फोटो आपके पास हो।
पहले से ही सिन्दूर मंगवाकर रख देना चाहिये और उसे तेल या घी में मिलाकर स्याही की तरह बना लें जिससे कि सिन्दूर से लिखा जा सके, और चांदी के तार का एक टुकड़ा पहले से ही बनाकर अपने पास रख देना चाहिये।
इसके बाद उस चांदी के तार से सिन्दूर के द्वारा यंत्र के ऊपर उस पुरूष या स्त्री का नाम लिख देना चाहिये जिसे आप वश में करना चाहते है। यदि एक से ज्यादा नाम है तो उन सारे नामों को सावधानी के साथ यंत्र पर अंकित कर सकते है। ये नाम आप अपनी भाषा में अथवा हिन्दी में लिख सकते है, पर अक्षर स्पष्ट और पठनीय होने चाहिये।
इसके बाद कुछ समय तक बिना पलक झपकाये आप उस तांबे के यंत्र के मध्य में जहां नाम लिखा हुआ है उस पर दृष्टि स्थिर कीजिये इस बात का ध्यान रहे कि दृष्टि स्थिर करते समय पलक न झपके तो ज्यादा उचित रहेगा। इस प्रकार पांच या दस मिनिट तक करिये उस समय आपके मन में यह भावना होनी चाहिये कि यह पुरूष या स्त्री मेरे वश में हो और जैसा मैं कहूँ वैसा ही करे, किसी प्रकार का व्यवधान पैदा न करे और मेरी आज्ञा का पूर्णतः पालन करें।
इसके बाद उस पुरूष या स्त्री का स्वरूप आँखे बंद कर अपनी आँखो के सामने लावे, यानि आप उसका बिम्ब अपनी आँखों के सामने लावे, और यदि आपको उसका बिम्ब दिखाई न दे तो भी किसी प्रकार की चिन्ता करने की जरूरत नहीं है।
तत्पश्चात् सफेद हकीक माला से निम्न मंत्र की 3 माला मंत्र जप करनी चाहिये। यह मंत्र अपने आप में प्रभावयुक्त है, और इसमें जहां ‘‘अमुक’’ शब्द आया है, उस शब्द की जगह उस स्त्री या पुरूष का नाम लेना चाहिये, जिसे आप अपने वश में करना चाहते है।
जब तीन माला पूरी हो जाये तो एक बार फिर आंखे बंद कर उसका बिम्ब सामने लाकर चिन्तन करें कि निश्चय ही यह मेरे वश में हो जाय और हमेशा मेरी आज्ञा का पालन करें।
फिर इस यंत्र और माला को दूसरे दिन सुबह किसी मंदिर में रख दें अथवा तालाब में विसर्जित कर दें, यदि ऐसा संभव न हो तो जहां चार रास्ते मिलते है वहां पर सिन्दूर से जो नाम लिखा है, उसे अंगुली से मिटाकर उस सिन्दूर को अपने ललाट पर लगा दें। इसी प्रकार माला दोनो को किसी सुनसान स्थान पर जमीन में गड्डा खोदकर गाड़ देना चाहिये।
इसके दूसरे दिन से ही आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त होने लगेंगे आपको प्रयत्न यह करना है कि किसी तरीकें से उसके सामने जायें जिससे कि वह आपको देख सके, यदि संभव हो तो आप उससे बातचीत करने का प्रयत्न करें, और यदि वह किसी दूसरे स्थान पर हो कोई चिन्ता की बात नहीं, केवल चिन्तन करने से ही उसी दिन से अनुकूलता अनुभव होने लगेगी।
ऐसा हो सकता है कि दूसरे दिन ही अनुकूल परिणाम प्राप्त हो जाय और यह भी संभव है कि दो चार दिन में धीरे-धीरे उसकी तरफ से अनुकूलता प्राप्त हो, परन्तु यह प्रयोग अपने आप में महत्त्वपूर्ण है, और इससे मनोवांछित सफलता अनुभव होती ही है।
तंत्र कोई दूषित या गलत क्रिया नहीं, यह तो ढ़ोंगीयों, पाखण्डी लोगों के हाथों में पड़कर बदनाम हो गया है, उन्होंने अपने स्वार्थ की वजह से तंत्र में शराब, स्त्री, या गांजा आदि को आवश्यक तत्व बना दिया है, जबकि तंत्र में इन वस्तुओं की उपयोगिता होती ही नहीं।
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