आपने कचनार के पौधे के बारे में सुना जरूर होगा। कचनार (Bauhinia variegata) एक बहुत ही खास पेड़ है, जो अपनी खूबसूरत फूलों के साथ-साथ सेहतमंद गुणों के लिये भी जाना जाता है। कचनार एक औषधीय पेड़ है, जिसके फूल, पत्ते और छाल सेहत के लिये बेहद फायदेमंद होते हैं। यहां तक कि इसकी कलियाँ भी औषधीय गुणों से भरी होती हैं। कचनार का प्रयोग कर लोगों को अनेक तरह का लाभ मिलता है। कई स्थानों पर कचनार की पत्तियों का साग भी खाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, कई प्राचीन ग्रंथों में कचनार के फायदे के बारे में बताया गया है। पेट की समस्याओं से लेकर थायरॉइड, वजन घटाने और त्वचा रोगों तक, कचनार के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। साथ ही साथ यह जोड़ों के दर्द, वात और शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली गांठ को गलाने का दम रखती है।
कचनार क्या है? –
फूलों के रंगों में अंतर के अनुसार कचनार की विभिन्न जातियां पाई जाती हैं। इनमें से तीन प्रकार के काचनारों का विशेष उल्लेख मिलता है-
1.लाल फूल वाला कचनार (Bauhinia purpurea)
2.सफेद फूल वाला कचनार (Bauhinia racemosa)
3.पीला फूल वाला कचनार (Bauhinia tomentosa Linn)
गुणों में तीनों कचनार एक समान होते हैं, लेकिन औषधि के रूप में प्रायः लाल या सफेद फूल वाले कचनार का ही प्रयोग किया जाता है। इसलिये अगर कहीं लाल फूल वाला कचनार नहीं मिलता है तो दूसरे का प्रयोग किया जा सकता है।
कचनार के फायदे और उपयोग-
सिर दर्द में कचनार के फायदे-
सिर दर्द होने पर लाल कचनार से लाभ मिलता है। लाल कचनार की छाल को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।
कचनार से दांत दर्द का इलाज-
लाल कचनार की सूखी टहनियों को जलाकर राख बना लें। इस राख या कोयला से दांतों पर मंजन करें। इससे दांत के दर्द की बीमारी ठीक होती है।
गैस की समस्या में कचनार के फायदे-
पेट में गैस होने पर कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर, इसके 20 मिलीलीटर काढ़ा में आधा चम्मच पिसी हुई अजवायन मिलाकर प्रयोग करने से लाभ मिलता है। सुबह-शाम भोजन करने के बाद इसका सेवन करने से पेट फूलना व गैस की तकलीफ दूर होती है।
कचनार के सेवन से मुंह के छाले का इलाज-
50 ग्राम कचनार वृक्ष की छाल को आधा लीटर पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाये तो इस पानी से कुल्ले करें। ऐसा कोई छाला जो दूसरी दवा से ठीक नहीं हो रहा है, वह भी इस उपाय से ठीक हो जाता है।
कचनार से खांसी का उपचार-
कचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में लाभ होता है। इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिये।
रक्त-विकार में कचनार के सेवन से लाभ-
कचनार की छाल या फूल का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा को ठंडा करके शहद मिला लें। इसे दिन में दो बार सेवन करें। इससे खून साफ होता है।
गण्डमाला रोग में कचनार का औषधीय गुण फायदेमंद-
लाल कचनार की छाल के 20 मिली काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण मिलायें। इसे सुबह-शाम पिलाने से भी गले के गांठ की बीमारी में लाभ होता है। कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कंठ के रोग ठीक होते हैं।
पाचन तंत्र विकार में कचनार के लाभ-
लाल कचनार की 10-20 ग्राम जड़ का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पिएं। इससे पाचनतंत्र संबंधी विकारों में लाभ होता है।
फोड़े (घाव) में कचनार का लाभ-
कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीस लें, और घाव पर पट्टी के रूप में बांधें। इससे फोड़े जल्दी पक जाते हैं। लाल कचनार का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव सूख जाता है।
रक्तपित्त में लाभ-
2-5 ग्राम कचनार के सूखे फूल का चूर्ण बनायें। इसे 1 चम्मच मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
कचनार से पीलिया रोग का इलाज-
पीलिया रोग जब गंभीर स्थिति में पहुँच जाता है तो जानलेवा साबित हो सकता है। पीलिया रोग के इलाज के लिये कोविदार के पत्तों का पेस्ट बना लें। व्याघएरण्ड का दूध निकालकर इसमें मिलाएं, और सेवन करें। इससे पीलिया रोग में फायदा होता है।
भूख बढ़ाने के लिये कचनार का सेवन-
भूख न लगे तो कचनार के सेवन से समस्या ठीक हो सकती है। कचनार में लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ करने का गुण होता है। यह लिवर विकार को दूर कर भूख को बढ़ाता है।
कचनार की पत्तियों से थायरॉइड का इलाज-
कचनार की पत्तियों का चूर्ण लेने से थायरॉइड ग्रंथि से संबंधित रोगों का इलाज होता है। यह थायरॉइड ग्रंथि के आकार को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से थायरॉइड हार्मोन का संतुलन बना रहता है।
त्वचा रोगों में कचनार से राहत-
कचनार का पेड़ त्वचा से संबंधित समस्याओं के लिये एक प्राकृतिक इलाज के रूप में काम करता है। इसकी छाल और पत्तियों में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा की एलर्जी, दाद और खुजली जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। आप इसके पत्तों का पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगा सकते हैं या इसके छाल से तैयार काढ़े से नहाने से भी त्वचा संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है।
आंतों के रोग में पीले कचनार से लाभ-
20 ग्राम पीले कचनार की छाल को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाये तो इसे 10-25 मिली पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।
मधुमेह के लिये फायदेमंद-
कचनार मधुमेह रोगियों के लिये भी लाभकारी होता है। इसके पत्तों और छाल का सेवन करने से शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसका काढ़ा पीने से रक्त में शर्करा की मात्रा को संतुलित किया जा सकता है, जिससे मधुमेह के लक्षणों में सुधार होता है।
इम्यूनिटी बूस्टर है कचनार-
आज के समय में जब इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बहुत जरूरी है, कचनार इस दिशा में आपकी मदद कर सकता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आप बीमारियों से दूर रहते हैं।
औषधीय उद्देश्य के लिये इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से परामर्श करना हमेशा सबसे अच्छा होता है ताकि डॉक्टर आपको आपकी बीमारी के निदान, मेटाबॉलिज्म और मन-शरीर की प्रकृति के अनुसार इष्टतम खुराक का सुझाव दे सकें।
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