प्रेम बिना पागलपन के, बिना दीवानगी के प्राप्त नहीं हो सकता, क्योंकि प्रेम के मूल में सब कुछ खो लेने की क्रिया है, अपना सब कुछ दांव पर लगा लेने का भाव है, अपने आप को फ़ना कर देने का हौंसला है।
यदि यह हौंसला है तो तुम मुझे पा सकते हो, पागलपन, दीवानगी की अन्तिम सीमा तक जाने की हिम्मत तुम में है तो तुम मुझे पा सकते हो, अगर प्रेमी बनें तो अद्वितीय सर्वश्रेष्ठ बनें, प्रेम करें तो ऐसा, कि जैसा अभी तक किसी ने किया ही न हो।
पागल बन जाना ही जीवन का सौभाग्य है, प्रिय को प्राप्त कर लेना ही जीवन की पूर्णता है। लोग तुम पर धूल उछालें, पागल कहें हाथ पैरों में जंजीरें डालें, पर घबराना नहीं, अपने मतवाले रास्ते पर बढ़ते रहना। और तुम ऐसा करके हमेशा-हमेशा के लिये अपना नाम इतिहास में अंकित कर दोगे।
मैंने चित्र बनाये हैं, सैकड़ों, हजारों, साधकों के, साधिकाओं के।
प्रत्येक चित्र अपने आप में अलग है, प्रत्येक चित्र में अलग प्रकार का ही रंग भरा है, कोई भी दो चित्र समान नहीं बनाये हैं।क्योंकि मैं चित्रकार हूं और तूलिका तथा रंगों का मुझे भली प्रकार से ज्ञान है, मुझे ज्ञान है, कि किस चित्र में कौन सा रंग भरना है।
पर ध्यान रखना, परिवार का तफ़ूान चित्र को फ़ाड़ न दे, मोह माया की हवायें चित्र के रंग को बदरंग न बना दे, समाज के अंधाड़, चित्र को अस्त-व्यस्त न कर दे। क्योंकि इन तफ़ूानों, अंधड़ों ने यही किया है, धूल-धाक्कड़ फ़ेंकने के अलावा इनके पास है ही क्या, आलोचनाओं की बौछार से बदरंग करने के अलावा इनके पास युक्ति है भी क्या?
मैंने तुम्हारे चित्र को अद्भुत बनाने का प्रयत्न किया है, जरूरत है इसे बदरंग होने से बचाने की, फ़टने से सुरक्षित रखने की। और यदि ऐसा हुआ तो यह चित्र ईश्वर की कलाकृति से भी ज्यादा सुन्दर, ज्यादा पूजनीय हो सकेगी।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,