सद्गुरूदेव दादा जी द्वारा प्रज्ज्वलित ज्ञान धारा का प्रवाह जन-जन तक पहुंच सके, इसके लिये हम सब इस नववर्ष में नवीन उत्साह, उमंग, जोश के साथ निखिल ज्ञान धारा के प्रवाह को कभी ना बाधित होने के संकल्प के साथ इस प्रवाह को और अधिक तीव्र करने का प्रयत्न करते हैं, और ऐसा करने के लिये हमें दृढ़ संकल्पित होना पड़ेगा। अपने गांव, समाज, मित्र, रिश्तेदार को इस ज्ञान धारा से सिंचित करने के लिय निरन्तर क्रियाशील होकर सद्गुरूदेव के इच्छाओं के साथ लक्ष्य को पूर्ण करना ही प्रत्येक शिष्य, साधक के जीवन का लक्ष्य है। इसी क्रम में सद्गुरूदेव निखिल भगवान की जन्मभूमि खरंटियां मठ में एक दिवसीय कुण्डलिनी जागरण युक्त महालक्ष्मी दीपावली महोत्सव शिविर सम्पन्न हुआ।
मेरे पिता कैलाश श्रीमाली जी ने सभी सौभाग्यशाली साधकों को इस दिव्यतम देवत्व भूमि के महत्व को समझाते हुये इस बात से अवगत कराया कि किस प्रकार सद्गुरूदेव की चेतना को पूर्णरूपेण आत्मसात कर साधक भौतिक जीवन के साथ आध्यात्मिक चेतना को आत्मसात कर हर स्वरूप में पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं।
वास्तविक रूप से यह अद्वितीय शिविर शिष्य- शिष्याओं के जीवन को सभी दृष्टियों से मंगलमय बनाने में पूर्ण रूप से सहायक होगा। जीवन को शिवत्व से युक्त करने हेतु स्वः रूद्राभिषेक और पाप-ताप-दोषों के शमन हेतु दुर्गा सप्तशती के चैतन्य मंत्रें से हवन हुआ जिससे साधक अन्तस मन से शुद्ध होकर कुण्डलिनी शक्ति की चेतना को पूर्णतः से आत्मसात कर सके, जिसके पश्चात् सहस्त्र चक्र युक्त सप्त कुण्डलिनी जागरण दीक्षा सद्गुरूदेव की जन्म भूमि पर प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, जो अपने आप में अद्वितीय क्षण थे, और श्रेष्ठतम साधक के जीवन के किन्हीं पन्नों पर घटित हुआ थे।
सुस्वादिष्ट प्रसाद ग्रहण कर साधकों ने नारायण भूमि की मिट्टी का तिलक कर कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर रवाना हुये, अपने मानस पुत्र-पुत्रियों को अपना साह्चर्य, सानिध्य, प्रेम प्रदान करने के लिये लालायित परम पूज्य गुरुदेव ने बस से ही साधकों के साथ यात्रा करने का निश्चय किया। शिष्य-शिष्यायें भी ऐसे अक्षुण्ण अवसर को प्राप्त कर अपने प्राण-स्वरूप सद्गुरूदेव के समक्ष भजन, नृत्य, जय गुरुदेव के जयकारों के उद्घोष को रोक नहीं पायें, पूरे रास्ते सभी ने अपने भावों के अनुरूप पूज्य सद्गुरूदेव के समक्ष भजन, संगीत, नृत्य के माध्यम से अपने प्रेम को प्रदर्शित किया, पूज्य गुरूदेव के सानिध्य में सम्पूर्ण वातावरण गुरुमय, आनन्दमय, प्रेममय हो गया था। जिसका रसपान कर सभी साधक एक अलग ही मस्ती में मदमस्त हो रहे थे। गुरू-शिष्य की इस प्रेम लीला में एक बार पुनः सिद्धाश्रम का दृश्य भूलोक पर अवलोकित हुआ।
इस महोत्सव में आपको हुए अनुभव आप लिखकर आश्रम भेजेंगे तो मुझे अत्यधिक प्रसन्नता होगी। समय-समय पर पत्र व्यवहार, फोन, ई-मेल आदि के द्वारा आप अपनी अनुभव, समस्या, शिकायत मेरे समक्ष रख सकते हैं, जिसके लिये में आश्रम की कार्य प्रणाली में सम्बन्धित परिवर्तन लाऊँगा।
इस शिविर के आयोजन में श्रेष्ठ कार्यकर्त्ता और शिष्यों के माता-पिता को हृदय भाव से मेरा धन्यवाद, वे माता-पिता सौभाग्यशाली तो हैं ही साथ ही वन्दनीय और पूज्यनीय भी हैं जो ऐसे कर्मठ, क्रियाशील पुत्रों को कैलाश सिद्धाश्रम परिवार का अभिन्न अंग बनाने में अपना पूरा सहयोग प्रदान किया। ये श्रेष्ठ कर्मयोगी स्वरूप सेवक निश्चित रूप से अपने जीवन के पन्नों पर सद्गुरूदेव निखिल से स्वर्णिम अक्षरों में हस्ताक्षर करवाने में सफल होंगे, साथ ही इनका आने वाला जीवन स्वर्ण की भांति ही दैदीप्यमान होगा। इन सभी सेवादार शिष्यों पर मेरा प्रेम और स्नेह सदा बना रहेगा।
सेवादार श्रेष्ठ शिष्य
अरूण मिश्रा (उड़ीसा), ओम प्रकाश (उत्तरांचल), जयनेन्द्र (छत्तीसगढ़), तुकेश (छत्तीसगढ़), धर्मेन्द्र (उत्तर प्रदेश), नीलाम्बर (उड़ीसा), निर्मल (उड़ीसा), बालम (छत्तीसगढ़), पारितोष तिवारी (पश्चिम बंगाल), पंकज (मध्य प्रदेश), पंकज (छत्तीसगढ़), पिन्टू (छत्तीसगढ़), मुकेश त्यागी (दिल्ली), योगेश (छत्तीसगढ़), रमेश पाण्डेय (उत्तर प्रदेश), रवि (छत्तीसगढ़), राजीव (दिल्ली), राजू (मध्य प्रदेश), राजेन्द्र (राजस्थान), लखन (छत्तीसगढ़), लेखराम (छत्तीसगढ़), श्याम (छत्तीसगढ़), सिद्धेश्वर (बिहार), सिंधु चौधरी (छत्तीसगढ़), सौम्य (नेपाल), संतोष (कर्नाटक), सुरेन्द्र (नेपाल)
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
Happy New Year 2016
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