जिस प्रकार पेट भरने के लिए अन्न उगाना, उसका पोषण करना, उसकी छंटाई करना, उसे शुद्ध करना, फिर उसे सुचारू रूप से पकाना होता है फिर ही हम उसे ग्रहण कर सकते हैं या पेट भर सकते हैं दूसरे शब्दों में अन्न खरीदने के लिये भी कर्म कर पैसे देने होते है तभी हम उसे प्राप्त कर सकते हैं- वैसे ही जीवन के कष्टो के अंत के लिये हमे क्रियायें करनी होती है ताकि हमारा जीवन बाधा मुक्त रहे। कैलाश सिद्धाश्रम द्वारा समय-समय पर साधना-दीक्षा व प्रयोग का आयोजन तपोभूमी पर किया जाता है, उन्हीं में से एक 28 फरवरी को महाकाल शिव गौरी विवाह महोत्सव- उज्जैन की पवित्र भूमि पर होगा-तब आप सभी इसमें सम्मिलित होकर इसका लाभ अपने जीवन में ले सकेंगे, सभी साधक इस उत्सव में आमन्त्रित हैं।
जो साधक किसी शिविर में किसी कारणवश न आ सके वे भी अपने जीवन की उन्नति के लिए उस दिवस पर साधना-मंत्र जप अवश्य करें। शिविर में बताये गये मंत्र की जानकारी उसी दिन आप आश्रम में PHONE के माध्यम से लें सकेंगे। आप सभी का जीवन कष्ट रहित व उत्सवो, महोत्सवो से परिपूर्ण रहे।
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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