शक्ति का आह्वान, जीवन शक्ति का आवाहन, शिव शक्ति का आवाह्न, जननी ज्ञान चेतना का आवाहन, प्रेम का आवाहन, असुरता के अन्त का आवाहन- अहंकार के अन्त का आवाहन के साथ-साथ ही व्रत, शुद्धता का उत्सव- पर्व के आगमन का नवरात्रे में प्रारम्भ होने जा रहा हैं।
शक्ति का यह पर्व इन नौ दिवसो पर- हमें अपने जीवन की क्षीण हुई शक्तियों को जाग्रत करना है, हमारी शुद्ध हुई चेतना को जाग्रत करना है- परन्तु वो कैसे?
यह तभी संभव है जब हम जागेंगे, तप करेंगे, साधना करेंगे- दूसरे अर्थो में जीवन को साध्य, अनुशासित बनाऐंगे। जीवन में अगर कुछ पाना है, कुछ सिद्ध करना है, तो तप-साधना तो करना ही होगा। सिर्फ हाथ फैलाने से, भीख मांगने से तो तिरस्कार ही प्राप्त होगा।
पूर्ण जीवन तो किसी का नहीं है, अभाव तो सभी के जीवन में है, किसी न किसी रूप में उस अभाव के भाव को हटा जीवन में पूर्णता लाने के लिए हमे व्रत का भाव, त्याग का भाव होना आवश्यक है- त्यागना किसको है? हमारे साथ जुड़े अभावों को, अपनी कुसंगतियों को।
हमारा जीवन कुछ वर्ष तक सीमित है हममे से कोई अमर नहीं है और उसका अधिकतम वर्ष हम जी चुके हैं- बाकि के बचे वर्ष व्यर्थ में नहीं गवाते हैं, अभावों को हटा जीवन को सुखी-समृद्धमय बनाना है तो इस नवरात्री अवश्य ही संकल्प के साथ शुद्ध भाव मन से माँ की शक्ति, ऊर्जा, चेतना अपने जीवन में साधना दीक्षा के रूप में आत्मसात करेंगे। इस नवरात्रि पर्व पर अपने निकटतम शिविर स्थल या कैलाश सिद्धाश्रम, जोधपुर आकर नवरात्रि साधना सम्पन्न करें
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