वर्तमान सामाजिक परिवेश के अनुसार जीवन के चार पुरूषार्थों में अर्थ की महत्ता सर्वाधिक अनुभव होती है। परन्तु जब भाग्य या प्रारम्भ के कारण जीवन में अर्थ की न्यूनता व्याप्त हो, तो साधक के लिए यह आवश्यक हो जाता है, कि वह किसी दैवीय सहायता का सहारा लेकर अपने प्रारब्ध के लेख को बदलते हुए सौभाग्य की मनचाही रचना करें भद्रकाली यंत्र एक ऐसा अद्भुत यंत्र है, जो गरीब से गरीब व्यक्ति के लिए भी शक्तिरूपी धन के स्त्रोत खोल देता है, वह अपने आप में पूर्ण मानसिक, शारीरिक, आत्मिक शक्ति से युक्त होता है। इसी के फलस्वरूप साधक अपने गृहस्थ जीवन में स्वर्णाकर्षण के गुणों को समाविष्ट कर सकता है। लक्ष्मी से सम्बन्धित सभी ग्रन्थों में शक्ति यंत्र की महिमा गायी गई है।
साधक को चाहिए कि इस यंत्र को किसी बुधवार को अपने पूजा स्थान में स्थापित कर दें। नित्य इसका कुंकुंम, अक्षत एवं धूप से पूजन कर इसके समक्ष ‘ऊँ ह्रीं या देवी सर्व भूतेषु भद्रकाली शीघ्रं आगच्छ आगच्छ ऊँ फट्’ मंत्र का 21 बार उच्चारण करें। ऐसा मात्र 4 गुरुवार तक करें।
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