जो इस नूतन वर्ष को हर दृष्टि से श्रेष्ठमय बनाने की क्रिया प्रारम्भ करना चाहते है। यह विशेष दीक्षा समर्पित साधको को प्रदान की जायेगी। जिससे उनका आने वाला नूतन वर्ष सफ़लतादायक, मनोकामना पूर्ति दायक हो सके।
पूर्णमदः पूर्णमिदं शक्ति दीक्षा
हम मनुष्य के रूप में जन्म लेकर गतिशील तो होते हैं, परन्तु यह हमारी गति, काल की गति है, मृत्यु की ओर बढ़ने की गति है, जीवन को समाप्त करने की गति है, यह पूर्णता की ओर बढ़ने का पथ नहीं है, पर यदि सद्गुरु मिल जाये, तो वे हमको पूर्णता प्रदान कर सकते हैं। उपनिषद् कह रहे हैं- ‘त्वं पूर्ण वे’——— तुम पूर्ण हो सकते हो, किन्तु पूर्णता का बोध कौन करा सकता है? और यह बोध वो गुरु करा सकते हैं, जिनमें प्राणश्चेतना हो, जो ब्रह्मचेतना से युक्त हों, जो स्वयं पूर्णता की परिभाषा हो, जो मात्र पूर्ण ही नहीं हो अपितु अपने स्पर्श से अनेकों को पूर्ण बना सकते हों। और यह ‘पूर्णमदः पूर्णमिदं दीक्षा’ द्वारा ही सम्भव हो पाता है, जो कि जीवन को ब्रह्ममय बनाकर पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जाने की क्रिया है। सद्गुरु के साक्षात् परब्रह्म स्वरूप को आत्मसात करने की प्रक्रिया होती है। इसी भावभूमि को पूर्णमदः पूर्णमिदं कहा गया है! यह वही दीक्षा है जो अत्यन्त दुर्लभ है। जो विरले साधक ही प्राप्त कर पाते है।
पांच पत्रिका सदस्य बनाने पर पूर्णमदः पूर्णमिदं शक्ति दीक्षा और साधना आपके जीवन में संचारित की जा सकेगी।
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