तुम मूढ़ हो, कि जीवन का बहुत बड़ा भाग प्रश्न पूछने और उत्तर पाने में ही व्यतीत कर देते हो। सबसे सटीक और पूर्ण उत्तर मौन से ही दिया जा सकता है, पर जरूरत है, कि तुम मौन की भाषा पढ़ सको, समझ सको।
जब मैं नहीं बोलता तो मेरे शरीर के समस्त रोम बोलने लग जाते हैं, इन रोम-रोम से तुम्हारे प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो सकते हैं।
लेकिन आवश्यकता है चुपचाप मेरे पास बैठने की, मौन की भाषा समझने की, मेरा सानिध्य प्राप्त करने की और मेरे शरीर के रोम-रोम से दिये जाने वाले उत्तरों को सुनने की। क्योंकि जीवन छोटा सा है और सफ़र लम्बा है, इसलिये विलम्ब करना उचित नहीं, दूर-दूर खड़े रहना ठीक नहीं।
जिस प्रकार नदी ऊन कर समुद्र में मिल जाती है, जिस प्रकार बूंद समुद्र में विलीन हो जाती है,
जिस प्रकार सुगंध हवा में एकाकार हो जाती है, उसी प्रकार तुम मुझ में एकाकार हो जाओ।
और जिस दिन ऐसा हो जायेगा, तुम्हारे जीवन के सारे प्रश्नों के उत्तर स्वतः प्राप्त हो जायेंगे।
मैंने अपने शिष्यों के हृदय में आग प्रज्वलित कर दी है, धधका दी है प्रचण्डता से।
जो समाज के कूड़ा-करकट को जलाने में पूरी तरह सक्षम है।
जो सक्षम हैं, उनके दिमाग में जमे हुये जालों को साफ करने में।
जो दिमाग में आलोचनाओं, तर्क-कुतर्क के मैल को खाक कर देने में समर्थ हैं।
और ये शिष्य समर्थ हो गये हैं, समाज की चुनौतियों का जवाब देने में, तुर्क-ब-तुर्क उत्तर देने में, आंखें दिखाने वालों की आंखे नोच लेने में।
और ये शिष्य पाखण्ड पर पूरी तरह से प्रहार करने में समर्थ हो गये हैं, ढोंगी बाबाओं की चालबाजियों को ध्वस्त करने में सिद्ध हो गये हैं और समाज से टक्कर लेने में समर्थ हो गये हैं।
ये समर्थ हो गये है, हिमालय को भी चूर-चूर करने में, विशाल समुद्र को उलीच लेने में और फलक को धरती पर उतार लेने में।
क्योंकि मैंने इनके सीने में आग धधका दी है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,