आप विचार करें भगवान शंकराचार्य को क्या पड़ी थी, उस पहाड़ में जाने की जहां सामान्य व डरपोक व्यक्ति जाने के नाम पर भयभीत हो जाते हैं। उस समय तो केवल पैदल ही टेढ़ी-मेढ़ी, संकरी पगडंडियों से यात्रा संभव हो पाती थी, क्योंकि शंकराचार्य जी को ज्ञात था कि मनुष्य के कल्याण का मार्ग यहीं प्रशस्त होगा और उन्होंने मानव कल्याण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया। वर्तमान में सभी तरह के वाहनों द्वारा आरामदायक मार्गो से पर्यटन व सपरिवार पूर्ण मनोरंजन के साथ यात्रा का आनन्द लेते हैं, साथ ही अनेक-अनेक ऋषियों द्वारा चैतन्य धामों के दर्शन कर अपने जीवन को देव शक्ति युक्त निर्मित करते हैं। स्पष्ट रूप से यही वे स्थल हैं जो जीवन को पूर्णतामय बना सकते हैं। जो दिव्यतम है, देवमय है, चैतन्य है, जीवन्त-जाग्रत है, तपमय है, साधनामय है।
गंगोत्री-बद्रीनाथ धाम सप्तपुरी यात्रा सामर्थ्यहीन जीवन में संजीवनी युक्त अर्थात् अभूतपूर्व जीवनी शक्ति व आत्मिक ऊर्जा प्राप्ति की यात्रा है। सांसारिक मनुष्य जीवन को सदा ही दुःख, रोग-शोक, भय-मोह, पीड़ा व अनेक-अनेक विषमताओं से घिरा पाता है। वह सुख, आनन्द की आशा में जीवन व्यतीत करता रहता है। संसार में रहते हुये भी श्मशान जैसा विलाप जीवन में व्याप्त होता है और आन्तरिक मन आत्मा के त्राहिमाम्-त्राहिमाम् चीत्कार से गूंजता रहता है। परम प्रभु भगवान नारायण के दिव्य धाम में विष्णु नारायण लक्ष्मी शालिग्राम विग्रह के दर्शन और साधनात्मक ऊर्जा ग्रहण करने से ही मानसिक-शारीरिक वेदना, दुःख व अनेक पीड़ा रूपी ज्वाला शान्त हो सकेगी और अमृत रूपी गंगा का निर्मल प्रवाह सांसारिक सुख-वैभव, आनन्द, प्रेम, भोग-विलासमय स्वरूप में निरन्तर होता रहेगा।
जिस तरह भगवान शंकराचार्य को यह ज्ञात था कि इन्हीं दिव्य स्थानों पर दैवीय चेतना शक्ति का संचार होता है और यहीं पर ही देवमय धाम की स्थापना से पूर्ण रूपेण लाभ मनुष्य प्राप्त कर सकेगा। उसी तरह सद्गुरुदेव निखिलेश्वरानंद जी द्वारा स्थापित सिद्धाश्रम भूमि युक्त आध्यात्मिक तपः शक्ति के सानिध्य में ही तीर्थ धामों की चेतना अक्षुण्ण व पूर्णरूपेण आत्मसात की जा सकेगी। सामान्य रूप में तीर्थ यात्रा करने से श्रद्धालु साधनात्मक चेतना, ऊर्जा से वंचित रह जाते हैं। आप इन धामों की गूढ़ता पर मनन-चिंतन कर इस दिव्यतम सप्तपुरी यात्रा के साक्षी व सहभागी बनें——————————————– यही आप सभी को शुभकामना है————!!
आपका अपना
विनीत श्रीमाली
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