सोयाबीन या सोया बीन्स जिसका जैविक नाम ग्लासीन मैक्स है। इसे तेल, दूध और सोया प्रोटीन में संसाधित किया जाता है। सोया को आमतौर पर फाइबर, प्रोटीन और खनिजों के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है। यह एक समृद्ध और प्रोटीन के सस्ते स्रोतों में अत्यन्त लोकप्रिय है। इसीलिये इसे मांसपेशियों को मजबूत बनाने वालों के लिए आदर्श भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन एक ऐसा पुष्टिकारक अन्न है, जिसमें लोहा, मैंगनीज, फॅास्फोरस, तांबा, पोटेशियम, मैंग्नीशियम, जस्ता, सेलेनियम और कैल्शिमय की महत्वपूर्ण मात्रा होती है। इसमें वसा, श्वेतसार, लवण, लौह, विटामिन B, विटामिन K, रिबोफ्रिलविन फोलेट, थायामिन और विटामिन C आदि पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पायें जाते हैं। यह कार्बनिक यौगिकों और एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। सोयाबीन में मिलने वाला प्रोटीन अन्य आमिष-निरामिष पदार्थों के प्रोटीन से कहीं अधिक उच्चकोटि का और 35-40 प्रतिशत तक पाया जाता है।
यह बालक, वृद्ध तथा रोगी सभी के लिये पुष्टि वर्धक रहता है। इससे कब्ज और गैस के रोग नहीं होते तथा इससे बालकों का शारीरिक विकास होता है। इसमें कोलेस्ट्रॅाल की मात्रा भी कम होती है। इसके नियमित प्रयोग से बल-वीर्य की वृद्धि होती है। शाकाहारी व्यंजन वालो के लिये यह प्रकृति का अनमोल भेंट है, जिसका उपयोग अवश्य ही करना चाहिये। इसमें अति गुणकारी तत्व पाये जाते हैं साथ ही इसका मूल्य काफी कम होता है।
दैनिक उपयोग की निम्नलिखित विधिायां है-
सोयाबीन का आटा- पानी में लगभग 10 घण्टे भिगो दें। फिर सुखाकर चक्की में इसका आटा पिसवा लें। इसके आटे से अत्यन्त स्वादिष्ट रोटी बनती है। स्वाद में गेहूँ के आटे से कुछ अलग होता है। इसके आटे से अनेक व्यजंन तैयार होते हैं। गेहूँ के आटे में मिलाकर इससे रोटी, पराठा, हलुआ आदि बनाया जाता है। इसके आटे को अधिक दिन तक नहीं रखना चाहिये।
सोयाबीन का दूध-दही-सोयाबीन को लगभग दस घंटे पानी में भिगों दें। फिर इसे बारीक पीसकर समुचित मात्रा में पानी मिलाये ताकि यह दूध-जैसा हो जाये। इसका स्वाद ठीक करने के लिये पीसते समय इसमें दो-तीन छोटी इलायची मिला दें तथा दूध को आधे घंटे तक उबालें। गुणकारी और पौष्टिक दूध तैयार हो गया। इस दूध में जामन डालकर दही भी जमाया जा सकता है।
सोयाबीन का तेल-सरसों तथा मूंगफली की तरह सोयाबीन का भी तेल निकाला जाता है। पौष्टिक होने के साथ ही अन्य खाद्य तेलों से अधिक सस्ता होता है। वनस्पति या सरसों के तेल के स्थान पर इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसका तेल सिर में लगाने से बाल काले व घने होते हैं। सोयाबीन के तेल में कुछ बूंद नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुहांसे ठीक हो जाते हैं।
सोयाबीन की बड़ी- सोयाबीन का तेल निकालने के बाद इसका जो छिलका बचता है, उससे निर्मित बड़ी पौष्टिक होती है। सब्जी, दाल आदि में डालकर इसको उपयोग में लाया जाता है। सोयाबीन की चटनी- भिगोये हुये सोयाबीन में नमक-मिर्च, अदरक, पुदीना इत्यादि डालकर पीस लें। स्वादिष्ट चटनी के रूप में इसका प्रयोग कर सकते हैं।
सोयाबीन की खली- पशुओं को इसकी खली खिलाने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है।
सोयाबीन के स्वास्थ्य लाभ
प्रोटीन कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं मूल रूप से मानव शरीर के हर आवश्यक भाग के निर्माण में यह सहायक है। सोयाबीन के प्रोटीन से उचित स्वास्थ्य और कोशिकाओं में वृद्धि बनाये रखने में मदद मिलती है।
मोटापा कम करने व शरीर का वजन नियंत्रित करने के लिये सोयाबीन और सोया आधारित उत्पादों का उपयोग किया जाता है। साथ ही सोयाबीन फाइबर और प्रोटीन की एक अच्छी मात्रा भी प्रदान करता है, जिससे संतुलित वजन बढ़ाने में भी मदद मिलती है। यह आपको मधुमेह और हृदय रोगों जैसे खतरनाक स्थितियों से बचाता है।
हृदय स्वास्थ्य के लिये सोयाबीन स्वस्थ असंतृत्प वसा का स्रोत है, जो आपके कुल कोलेस्ट्राल को कम करने में मदद करता है। यह आपको एर्थरसक्लेरोसिस जैसी स्थिति को रोकने में मदद करता है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक का कारण बनते हैं।
फैटी एसिड़, लिनोलिक एसिड और लिनोलेनिक एसिड जो सोयाबीन में महत्वपूर्ण मात्रा में पाये जाते हैं, शरीर में मांसपेशियों को विनियमित करते हैं और उचित रक्तचाप के स्तर को बनाये रखने में मददगार होते हैं।
पाचन स्वास्थ्य के लिये फाइबर पेस्टलेटिक गति को उत्तेजित करता है, जो आपके पाचन तंत्र में मांसपेशियों के संकुचन के माध्यम से भोजन को आगे बढ़ाता है।
मधुमेह के लिए सोयाबीन शरीर में इंसुलिन रिसेप्टर्स को बढ़ाने की क्षमता रखता है। इस प्रकार सोयाबीन इस रोग की रोकथाम और प्रबंधन का एक प्रभावी तरीका है।
रजोनिवृत्ति के लिये सोयाबीन आईसॅाफ्रलेवोंस का एक बहुत अच्छा स्रोत हैं, जो महिला प्रजनन प्रणाली के आवश्यक घटक हैं। रजोनिवृत्ति के दौरान, एस्ट्रोजन का स्तर काफी हद तक गिरा रहता है। आईसॅाफ्रलेवोंस एस्ट्रोजेन रिसेप्टर कोशिकाओं के लिए एस्ट्रोजन की कमी महसूस नहीं होने देता। इससे रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले मूड स्विंग्स, गर्म देह, चमक, भूख, दर्द आदि से राहत मिलती है।
मजबूत हड्डियों के लिये सोयाबीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, तांबा, सेलेनियम और जस्ता सहित कई विटामिन और खनिजों का समृद्ध स्रोत है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिये बहुत महत्वपूर्ण हैं। ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं के लिये सोयाबीन भोजन एक दीर्घकालिक समाधान होता है।
कैंसर की रोकथाम के लिये सोयाबीन में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट का स्तर विभिन्न कैंसर की शुरुआत को रोकने के लिये बहुत ही प्रभावी है। यह विशेष रूप से प्रोस्टेट कैंसर, फेफड़े, स्तन और पेट के कैंसर के लिये कारगर है।
सोयाबीन में विटामिन बी कॅाम्प्लेक्स और फोलिक एसिड का स्रोत पाया जाता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिये महत्वपूर्ण होता है और यह शिशुओं में न्यूरल टयूब दोष की रोकथाम करता है।
सोयाबीन भोज्य पदार्थ के साथ-साथ स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यन्त लाभकारी है। जिसका उपयोग सभी को समय- समय पर करना ही चाहिये, जिससे हमारा मन, देह, हष्ट-पुष्ट बना रहे।
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