प्राचीन मालवा मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के तट पर उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग अवस्थित है। विभिन्न पुराणों तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में तो इसकी महिमा गाई ही गई है। साथ ही महाकालेश्वर लिंग के प्रकट होने की अनेक कथायें उल्लिखित है- रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक एक धर्मद्वेषी असुर रहता था। ब्रह्मा का वरदान पाकर अपने बल के अहंकार में उसने देवताओं को भी परास्त कर दिया था। उज्ज्यिनी नगरी में शिव भक्त ब्राह्मणों के बारे में जानकर दूषण ने अपनी राक्षसों की सेना के साथ उज्जयिनी पर हमला कर दिया। नगर के लोगों ने उन शिव भक्त ब्राह्मणों से रक्षा की प्रार्थना की। एक स्थल को धो-पोंछकर पार्थिव लिंग स्थापित करके ब्राह्मण शिवपूजन में तल्लीन हो गये। जब राक्षसों की सेना ने उन ब्राह्मणों पर प्रहार करना चाहा तो भयंकर गर्जना के साथ वहां एक गड्डा हो गया और उसमें से विकटवेश धारी शिव प्रकट हुये।
विकट रूपधारी भगवान शंकर ने भक्तजनों को आश्वस्त किया और गगनभेदी हुंकार भरी मैं दुष्टों का संहारक महाकाल हूं और ऐसा कहकर उन्होंने दूषण व उसकी हिंसक सेना को भस्म कर दिया। तत्पश्चात् उन्होंने अपने श्रद्धालुओं से वरदान मांगने को कहा। उज्जयिनी वासियों ने प्रार्थना की- हे महाकाल, महादेव, दुष्टों को दंडित करने वाले प्रभु! आप हमें संसार रूपी सागर से मुक्ति प्रदान करें। जन कल्याण एवं जनरक्षा हेतु इसी स्थान पर निवास कीजिये एवं अपने इस स्वयं स्थापित स्वरूप के दर्शन करने वाले मनुष्यों को अक्षय पुण्य प्रदान कर उनका उद्धार कीजिये।
वर्तमान मंदिर अपेक्षाकृत पर्याप्त नवीन है। मंदिर का गर्भगृह तीन खण्डों (मंजिलों) का बना है। भूतल गृह में श्री महाकालेश्वर स्थित है। दस-बारह सीढ़ी नीचे उतर कर इनके दर्शन होते हैं। इसी लिंग के ऊपर पृथ्वी तल पर ओंकारेश्वर लिंग और उससे ऊपरी खंड में नागचन्द्रेश्वर लिंग स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि महाकालेश्वर के दर्शन से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं, अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा गृहस्थ जीवन सर्व सुखमय स्वरूप में सम्पन्न होता है। तांत्रिक साधनाओं में महाकालमय चेतना शक्तियों का विशेष महत्व है। इसी हेतु महाशिवरात्रि महापर्व जो कि भगवान शिव और माता गौरी का परिणय महोत्सव है, उसे सद्गुरु सानिध्य में 19-20-21 फरवरी गंगा गार्डन उज्जैन में सम्पन्न करेंगे, जिससे शिव-गौरी स्वरूप में दैहिक-दैविक-भौतिक साधना, पूजा, अर्चना करने से सांसारिक जीवन वंसतोमय निर्मित हो सकेगा। महाप्रसाद व ठहरने की व्यवस्था निःशुल्क है।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,