किचन है आपका डॉक्टर तेजपत्ता, अमचूर, जायफल, चिरौंजी, नमक, राई, कलौंजी, छोटी-बड़ी इलायची, हींग, खसखस आदि मसाले सिर्फ भोजन के स्वाद को ही नही बढ़ाते, बल्कि आपके स्वास्थय की रक्षा भी करते हैं।
आपके रसोईघर में बहुत सी ऐसे चीजें सदा मौजूद रहती हैं, जिनका औषधि रूप में प्रयोग कर आप रोगमुक्त हो सकते हैं। यह सामग्री मसालों के रूप में आपके स्वास्थ्य की रक्षा भी करते हैं। अगर आप इनके औषधीय गुणों से भी परिचित हो तो फिर आप इनका इस्तेमाल और भी बढि़या ढंग से कर सकते हैं।
तेजपत्ता
तेजपत्ते की खुशबू भोजन के स्वाद को दोगुना कर देती है। इसमें गजब के औषधीय गुण समाहित है।
लोग तेजपता प्र्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करते है। हृदय से संबंधित रोगियो को इसका अधिक सेवन करना चाहिये।
आप सर्दी-जुकाम से परेशान हैं, छीकें ज्यादा आ रही हैं। नाक से पानी गिर रहा है व जलन हो रही है, जीभ का स्वाद बिगड़ गया है, जुकाम चार-पांच दिनों का हो गया है तो आप इन सब परेशानियों से छुटकारा पाने के लिये दो गिलास पानी में चार-पांच ग्राम तेजपत्ते का चूर्ण डालकर इसकी चाय बनायें। इसमें स्वादानुसार चीनी डाल सकते हैं। इससे सर्दी की अनेक बीमारियों से निजात प्राप्त होती है।
अमचूर
छोटे बच्चों को अक्सर ही सूखा रोग हो जाता है। अमचूर इस रोग में बहुत ही गुणकारी साबित होता है। अमचूर को भिगोकर पीस लें और उसमें शहद मिलाकर बच्चे को प्र्रतिदिन दो बार थोड़ी मात्र में चटाये।
बिच्छू ने डंक मार दिया हो और बहुत पीड़ा हो रही हो तो लहसुन और अमचूर बराबर मात्र में लेकर महीन पीस लें और बिच्छू ने जहाँ डंक मारा हो वहां पर लगा दें। इससे बिच्छू का जहर प्रभावहीन होकर उतर जाता है।
पैर की एडि़या फटने से पीड़ा के साथ खून का बहाव भी होता है। अतः अमचूर पानी के साथ चटनी की तरह पीसकर उस पर लेप करने से तुरंत लाभ होता है।
जायफल
मौसम परिर्वतन में शिशुओं को सर्दी लगने का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रतिदिन थोड़ी मात्र में जायफल किसी साफ पत्थर पर पानी के साथ घिसकर माता के दूध के साथ सेवन कराने से मौसम परिर्वतन जनित विकारों से शिशु सुरक्षित रहता है।
पेट फूलने और पेट दर्द की शिकायत हो तो जायफल का चूर्ण एक ग्राम आधा कप पानी से सुबह-शाम सेवन करें तो सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं। मुंह में छालें पड़ गए हों तो पत्थर पर पानी की मदद से जायफल को एक गिलास पानी में घोलकर गरारे और कुल्ले करने से सिर्फ मुंह के छाले ही ठीक नहीं होते हैं, बल्कि बैठा हुआ गला भी खुल जाता है।
चिरौंजी
चिरौंजी को पीसकर उबटन की तरह बना लें और नहाने के दस मिनट पहले चेहरे पर इस उबटन को लगा लें। इससे मुंहासे आदि चेहरे के त्वचा जन्य विकार दूर होते हैं और त्वचा की रौनक बढ़ जाती है।
चिरौंजी को गाय के ताजे दूध के साथ खूब महीन पीस लें पूरे शरीर में इस उबटन से मालिश करने पर त्वचा का काला रंग सांवला हो जाता है और सांवला रंग गेहुआं व त्वचा कसाव लिये हुये मुलायम बनी रहती है।
20 ग्राम चिरौंजी को मुंह में डालकर खूब चबा-चबाकर खायें इससे शीतपित्त नष्ट हो जाता है।
नमक
हाथ और बाहें सख्त पड़ गई हों तो हाथ और बांहों को गीला करके एक मुट्ठी नमक लेकर गोलाकार गति से मालिश करें। इससे त्वचा कोमल और सुंदर बनती है।
मांसपेशियों के दर्द में नमक को तेल में भूनकर दर्द वाले स्थान पर मालिश करें तथा एक कप गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक मिलाकर पियें। इससे मांसपेशियों का दर्द ठीक हो जाता हैं।
रात को सोने से पूर्व नियमित रूप से नमक मिले हुये गरम पानी में दस मिनट तक पैर डालें और फिर तौलिये से पोछकर बिस्तर पर सोने के लिये जाये। ऐसा करने से अनिद्रा की शिकायत दूर होकर गहरी नींद आती है। इसके साथ ही पैरों की थकान भी दूर होकर गहरी नींद आती है।
बीमार व्यक्ति को गरम पानी में नमक डालकर प्रतिदिन नहलाये। इससे रोगी व्यक्ति की शारीरिक शक्ति अतिशीघ्र लौट आती है।
राई
जुकाम होने पर राई को शहद में मिलाकर सूंघें। इससे जुकाम दूर हो जाता है।
कपफ़ दोष से उत्पन्न श्वास रोग में राई को 10 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से आराम मिल जाता है। इससे श्वास रोग का शमन होता है।
शरीर के किसी भी भाग पर गांठ बन गई है और वह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है तो उस पर राई और काली मिर्च के चूर्ण को घी में मिलाकर लेप करे। इससे गांठ का बढ़ना रूक जाता है।
दाँतों में दर्द होने पर राई को गरम पानी में मिलाकर कुल्ला करें, इससे दांत का दर्द ठीक हो जाता है।
कलौंजी
शरीर के किसी भी भाग में मस्सा हो तो सिरके में कलौंजी चूर्ण मिलाकर मस्से पर लगायें। कुछ दिन के प्रयोग से मस्सा कट जाता है।
गुर्दे और मूत्रशय की पथरी से आप कष्टमय जीवन जी रहे हैं तो कलौंजी को पानी में पीसकर शहद में मिलाकर पी जायें। कुछ दिन के प्रयोग से पथरी में आराम मिलता है।
निरन्तर हिचकिया आ रही हो तो तीन ग्राम कलौंजी चूर्ण शहद मिश्रित सेवन करें। इससे हिचकिया बंद हो जायेगी।
बाल झड़ने गिरने या टूटने की शिकायत हो तो कलौंजी को पीसकर बालों की जड़ों में लगाये और एक घंटे के बाद सिर पानी से धो दें। यह प्रयोग कुछ माह करने से बालों का झड़ना थम जाता है और वे पुनः काले, घने हो जाते हैं।
छोटी इलायची
पेशाब खुलकर न आ रहा हो तथा मूत्र मार्ग में जलन हो रही हो तो छोटी इलायची के दाने दूध के साथ सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है और जलन शांत होती है।
भोजन पाचन होने की शिकायत रहती है तो छोटी इलायची के बीज, सोठ, लौंग और जीरा सभी सम मात्र में लेकर बारीक पीसकर चुर्ण बनाकर भोजन के बाद दो ग्राम की मात्र में सेवन करने से भोजन पाचन हो जाता है।
पेट दर्द की शिकायत होने पर दो छोटी इलायची पीसकर शहद के साथ सेवन करने से पेट दर्द ठीक हो जाता है।
बड़ी इलायची
बड़ी इलायची के दानों का चूर्ण बनाकर मिश्री के साथ सेवन करने से वातज, कफज और पितज खांसी में तुरंत आराम मिलता है।
बड़ी इलायची को थोड़ा जलाकर चूर्ण रूप में तीन-चार घंटे में 2-3 बार सेवन करे तो वमन रूक जाती है।
खसखस
दो चम्मच खसखस शाम को पानी में भिगो दें। सुबह इसे पीसकर मिश्री मिलायें और पानी में घोलकर पी जाने से मानसिक थकावट दूर होती है। खसखस की खीर बनाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है।
दो चम्मच खसखस पानी में डालकर पीस लें और चौथाई कप दही मिलाकर छः-छः घंटे पर प्रतिदिन चार बार सेवन करने से अतिसार, रक्तातिसार, आमातिसार ठीक हो जाती हैं।
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