अपने प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल कर विशिष्ट उपलब्धि को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है, यह सुगम मार्ग प्रशस्त करने में सहायक होता है। रत्न शब्द का विशिष्ट अर्थ ही श्रेष्ठता को आत्मसात करना है। जिसे धारण कर सामान्य व्यक्ति भी सभी भौतिक सम्पदाओं से युक्त होकर उच्च सफलता से सम्पन्न होता है। परन्तु यह ध्यान रखें मंत्र प्राण-प्रतिष्ठित व चैतन्य रत्न धारण करने पर ही उचित लाभ प्राप्त होता है।
माणिक (सिंह राशि)
माणिक धारण करने पर सूर्य ग्रह से सम्बन्धित सभी दोष समाप्त होते हैं। जिससे व्यक्ति तेजस्वी, प्रतापी, प्रभावशाली बनता है। सुख-सम्पत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य, यश की वृद्धि होती है। यह वंश वृद्धि कारक रत्न है, इसके धारण करने पर भय, व्याधि, दुःख, क्लेश, चिन्ता आदि समाप्त होते हैं। दैविक शक्ति प्राप्त होती है तथा नेत्र विकार समाप्त होते है।
मोती (कर्क राशि)
कर्क राशि वालो को व चन्द्रमा निर्बल होने पर मोती धारण करने से क्रोध शांत होता है तथा मानसिक शांति मिलती है। जिनके जीवन में अनिश्चितता व विपरीत परिस्थितियां बनी रहती है, ऐसे व्यक्ति को मोती धारण करना चाहिये। यह ज्ञानवर्द्धक व धन प्रदाता रत्न है। यह निर्बलता को दूर कर तेज, ओज का विकास करता है। मोती पेट सम्बन्धित कष्ट दूर होने में सहायक है।
मूंगा (मेष, वृश्चिक राशि)
मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह के सभी दोष समाप्त होते हैं। मूंगा मेष और वृश्चिक राशि वालों का भाग्योदय करता है। व्यापार, नौकरी, आर्थिक पूर्णता में सहायक और मान-सम्मान में वृद्धि के साथ ही शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जिनका जीवन शत्रुओं से त्रस्त हो उन्हें विशेष लाभ होता है। भूत प्रेत आदि का भय नहीं रहता है।
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