लेकिन कई बार जाने-अंजाने में ही इसी बुरी आदत का हम शिकार हो जाते हैं। अपनी गलतियों को माता-पिता, टीचर आदि से छिपाने के चक्कर में हम कब झूठ बोलने लग जाते हैं, पता ही नहीं चलता और हम जैसे-जैसे बड़े होते हैं ये एक बुरी HABIT का रूप ले लेती है।
सच बोलने का महत्व
जीवन में सत्य का बहुत महत्व है क्योंकि इसी की सहायता से हम किसी व्यक्ति पर विश्वास कर पाते हैं। सत्य बोलने वाले को हमेशा RESPECT मिलती है।
जब हम अपने PARENTS या TEACHER से डरकर झूठ बोल देते हैं तो हम थोड़े TIME के लिये तो बच जाते हैं लेकिन उस एक झूठ के पीछे कई बार झूठ बोलने पड़ते हैं और हमारी सारी ENERGY इसी में WASTE हो जाती है और कभी भी वह झूठ पकड़ा भी जा सकता है, वहीं यदि हम सच बोलते हैं तो हम बड़ों से एक बार डाट खाकर या उनके द्वारा समझाये जाने पर ये सीख जाते हैं कि आगे से ये MISTAKE नहीं दोहरानी है, जिसकी वजह से डाँट पड़ी, हममें इससे सुधार आता है। क्योंकि सत्य कड़वा हो सकता है, परन्तु कभी गलत नहीं होता।
सत्य बोलने पर हमें डरने की जरूरत नहीं पड़ती, हमारी सदा PROGRESS ही होती है। सच बोलने से हम हमेशा CONFIDENT रहते हैं।
सच बोलने से हमारे FRIENDS, FAMILY, TEACHER सभी हम पर भरोसा करते हैं, सभी हमसे खुश रहते हैं।
जब हमारी सच बोलने की आदत होती है तो हम TENSION FREE होकर सारा ध्यान पढ़ाई और अन्य ACTIVITIES करने में लगा सकते हैं।
तो अब से ध्यान रखे जब भी आपसे कोई गलती हो जाये तो उसे ACCEPT करें, माफी मांगे और बड़ो से हमेशा सच बोलें।