REALITY (वास्तविकता) यह है कि छोटी उम्र से MOBILE USE करने से ना केवल हमारी आँखें खराब होती है अपितु यह हमारी सोचने-समझने की शक्ति को भी क्षीण (EMACIATED) करता है, क्योंकि MOBILE DEVICE पर दिखने व दिखाई देने वाले चित्र COLOUR-VIDEO व निकलने वाली RADIATION हमे LIMITED (सीमित) दिशा में ही सोचने देने लगती है, जिससे हमारा दिमाग और अधिक संकुचित (SHRINK) हो जाता है- सोने का समय LATE-SLEEP PATTERN खराब होता है-
हर समय बिना मतलब SOCIAL MEDIA पर UPDATE जानने व खुद की अतरंगी PHOTO-VIDEO बनाने की मूखर्ता करते हैं। खुद को बन्दर-कुत्ता या कोई अजीबोगरीब दिखने में मजा आने लगता है- मोबाईल न होने पर हम चिड-चिडे, आक्रमक, हिंसक होने लगते हैं। अत्यधिक मोबाईल USE करने से आपके याद, सोचने की शक्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
आप खुद ही सोचो खुद को कुत्ता या बन्दर दिखाकर या कोई अजीबो-गरीब TREND का हिस्सा बनकर आप क्या पा लोगे- क्या इससे आपका पेट भरेगा या आपको कोई ज्ञान (KNOWLEDGE) होगा, स्कूल में अव्वल आ पाओगे? आप सिर्फ मूर्ख से महामूर्ख कहलाओगे- आप व्यर्थ (USELESS) MOBILE का USE करने की जगह कोई किताब या OUTDOOR SPORT खेले MIND-BODY दिमाग और शरीर की कद्र करे।
अपने MOBILE को ENTERTAINMENT के लिये केवल 2-3 घंटो के लिये USE करें।
जब घर पर हो तो MOBILE की आवाज कम 1-2 पर करें।
हर मैसेज का जवाब तुरंत न दें।
खाना खाते समय MOBILE काम में न ले।
सोने के 3 घंटे पहले MOBILE न चलायें।
सोने के कमरे में MOBILE न रखे।
देखोगे IDIOT तो बनोगे IDIOT !!
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