मनुष्य का जीवन ही इसीलिए प्राप्त हुआ है कि वह अपने जीवन में कामनायें अवश्य करे, कामना के बिना मनुष्य का जीवन पशु की भांति है। कामनायें मन से उत्पन्न होती हैं, इसीलिये उन्हें मनोकामना कहा जाता है। केवल मनोकामना करने मात्र से ही कामनायें सिद्ध नहीं हो जाती उन्हें कार्यरूप में परिणित करना भी आवश्यक है।
बाणेशी देवी कामना परक देवी मानी गई है। जिसके ध्यान से ही ये स्पष्ट होता है कि वे विभिन्न अलंकारों से विभूषित कामबाण से युक्त है। काम जीवन का एक अभिन्न अंग है और चतुर्वर्ग में इसे प्रमुख स्थान दिया गया है। होली महाकल्प में यह दीक्षा ग्रहण करने से पहले जो कामना पूर्ण करना चाहते हैं वह सहज और पूरी होने वाली होनी चाहिये क्योंकि जीवन में उन्नति की सीढ़ियां एक-एक करके ही लक्ष्य पर पहुँचा जा सकता है। उसी प्रकार एक-एक कामना पूर्ण करके ही जीवन को पूर्ण बनाया जा सकता है। ये कामनायें शरीर से सम्बन्धित हो सकती हैं, कार्य से सम्बन्धित हो सकती हैं अथवा जीवन के किसी भी भाग से सम्बन्धित हो सकती है लेकिन इसमें आप भी अपनी शक्ति का उपयोग कर अपनी मनोकामना पर पूर्णरूप से विजय प्राप्त करें।
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