चैत्रमास के शुक्ल पक्ष की तिथि से नवसंवत्सर का आरम्भ होता है, यह अत्यन्त पवित्र तिथि है। इसी तिथि से पितामह ब्रह्मा ने सृष्टि निर्माण प्रारम्भ किया था –
इस तिथि को रेवती नक्षत्र में, विश्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान के आदि अवतार मत्स्यरूप का प्रादुर्भाव भी माना जाता है-
युगों में प्रथम सत्ययुग-प्रारम्भ भी इस तिथि को हुआ था। यह तिथि ऐतिहासिक महत्त्व की भी है, इसी दिन सम्राट् चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी, और उसे चिरस्थायी बनाने के लिये विक्रम-संवत् प्रारम्भ किया था।
संवत्सर-पूजन- इस दिन प्रातः नित्यकर्म करके तेल का उबटन लगाकर स्नान आदि से शुद्ध एवं पवित्र होकर हाथ में गन्ध, अक्षत, पुष्प और जल लेकर देश-काल के उच्चारण के साथ निम्नलिखित संकल्प लेना चाहिये-
-ऐसा संकल्प कर नयी बनी हुई चौरस चौकी या बालू की वेदी पर स्वच्छ श्वेत वस्त्र बिछाकर उस पर हल्दी या केसर से रंगे अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उस पर ब्रह्माजी की सुवर्णमूर्ति स्थापित करें। गणेश अम्बिका-पूजन के पश्चात् ‘ऊँ ब्रह्मणे नमः’ मंत्र से ब्रह्माजी का आह्वानादि से षोडशोपचार पूजन करें।
पूजन के अनन्तर विघ्नों के नाश और वर्ष के कल्याण कारक तथा शुभ होने के लिये ब्रह्माजी से प्रार्थना की जाती है-
पूजन के पश्चात् विविध प्रकार के उत्तम और सात्त्विक पदार्थों से ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिये।
इस दिन पंचाक श्रवण किया जाता है। नवीन पचांक से उस वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष जो भी हो, उसका ध्यान करना चाहिये। गृहगति के अनुसार प्रत्येक वर्ष का राजा (अधिनायक), प्रधानमंत्री तथा सेनानायक होता है। शास्त्र गणना के अनुसार इस वर्ष राजपद एवं प्रमुख मंत्रीपद सूर्यदेव को प्राप्त हुआ है तथा सेनाध्यक्ष पद बुधदेव को प्राप्त हुआ है। अतः सूर्य और बुध का ध्यान वर्ष के प्रथम दिन अवश्य करना चाहिये। आज के दिन नया वस्त्र धारण करना चाहिये तथा घर को ध्वज, पताका, वन्दनवार आदि से सजाना चाहिये। इस दिन नवरात्र के लिये घट स्थापन और तिलकव्रत भी किया जाता है। इस व्रत में यथासम्भव नदी, सरोवर अथवा घर पर स्नान करके संवत्सर की मूर्ति बनाकर उसका ‘चैत्राय नमः’ ‘वसन्ताय नमः’ आदि नाम-मंत्रों से पूजन करना चाहिये। इसके बाद गुरू पूजन, अर्चन अवश्य करना चाहिये।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,