हमारे जीवन के अधिकांश कार्यों में अकारण ही अनेक बाधायें और अवरोध आते हैं और इस तरह की कुक्रियायें हमारे आस-पास के लोग व शत्रु ही करते हैं जो सौम्य भी होते हैं व कुभावना युक्त भी। इन्हीं शत्रुओं के शमन की क्रिया को धूम्र विलोचन कहते हैं। जिसमें शत्रु कितना भी नीच, क्रूर, षड़यंत्रकारी, तुच्छ मानसिकता का ही क्यों ना हो? धूम्र विलोचन शक्ति आपूरित साधक ऐसे क्रूर शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त कर ही लेते हैं। इस प्रगतिशील युग में प्रत्येक व्यक्ति को कड़ा परिश्रम और बेजोड़ प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है, चाहे नौकरी से सम्बन्धित हो, व्यापार हो या शिक्षा से सम्बन्धित, प्रतिस्पर्धा और दूसरों के प्रगति की ईर्ष्या के कारण जाने- अनजाने अनेक लोग शत्रु बन जाते हैं और वे प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष अपनी क्षमता अनुसार हमारे कार्यो को अवरूद्ध करते हैं। जिसके कारण व्यक्ति को अनेक मानसिक वेदना को सहन करना पड़ता है। कभी-कभी स्थितियां शारारिक व मानसिक दोनों तरह के कष्ट सहन करने की भी होती हैं।
धूम्र विलोचन लॉकेट धारण करने से शत्रुओं की क्रिया का भाव समाप्त हो जाता है। उनकी कुबुद्धि को भ्रमित कर दिया जाता है। जिससे साधक अपने कार्य में निरन्तर सफलता प्राप्त करता रहता है। इस लॉकेट द्वारा शत्रु निस्तेज होते हैं और यदि वे किसी प्रकार का नुकसान आदि पहुंचाने का प्रयास करते हैं, तो उल्टा उनका ही अहित होता है। वे स्वयं में इतने उलझे रहते हैं, कि शत्रुओं का ध्यान ही हमारी ओर नहीं पड़ता। नौकरी, व्यापार, शिक्षा से सम्बन्धित पुरुष, विद्यार्थी को इस लॉकेट को धारण करना चाहिये।
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