आज के इस भौतिक युग में आर्थिक सम्पन्नता का महत्च सर्वोपरि है। गृहस्थी के छोटे-बड़े कार्यों से लेकर, साधनाओं तक और फि़र जीवन की विशिष्ट उपलब्धिओं तक, सब कुछ अर्थ के बिना असंभव सा ही है और आर्थिक सम्पन्नता उस स्थान से दूर रह ही नहीं सकती जहां स्थापित हो यह कनकधारा यंत्र। लक्ष्मी से सम्बन्धित सभी यंत्रों में इसका महत्व सर्वोपरि एवम अतुलनीय है। यह यन्त्र प्रारब्ध के कारण रूके हुए धन के स्तोत्र खोलने में समर्थ है एवं पीढि़यों से चलती आ रही दरिद्रता को समाप्त करने वाला है। यह यन्त्र अपने आप में तीव्र स्वर्णाकर्षण के गुणों को समाविष्ट किये हुए है। भगवत्पाद शंकराचार्य ने भी निर्धन ब्राह्मणि के घर धन वर्षा कराने में इसी यन्त्र का प्रयोग किया था।
साधना विधि:-
साधक को चाहिए कि किसी भी बुधवार को इस यन्त्र को अपने पूजा स्थान में स्थापित कर दें। नित्य इसका कुंकुम, अक्षत एवम धुप से पूजन कर इसके समक्ष निम्न मंत्र का 21 बार उच्चारण करें।
ऐसा तीन बुधवार तक करें, फि़र इस यन्त्र को तिजोरी में रख ले।
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