त्रैलोक्य-शक्ति प्रदायक माला का ही दूसरा नाम त्रैलोक्य विजय माला है। इसे ‘त्रैलोक्य विजयिनी’,‘त्रैलोक्य भुवन मोहिनी’ तथा ‘त्रैलोक्य-शक्ति-प्रदायक’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इस माला को धारण करने से 64 कलापूर्ण सिद्धियां और नव निधियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। जहां एक ओर संसार का समस्त वैभव, सुख, ऐश्वर्य एवं आनन्द पहनने वाले को प्राप्त होता है, वहीं दूसरी और कई सिद्धियां उसे स्वतः प्राप्त होने लगती हैं, इसीलिए इस माला को ‘त्रैलोक्य पारद माला’ कहा गया है।
माले माले महामाले
सौभाग्यदायक, अद्वितीय, चैतन्यता प्रदायक यह माला जिस भी व्यक्ति के पास होती है, निश्चित ही वह सौभाग्यवान होता है, जिसके धारण करने मात्र से ही सभी विघ्न, दुःख, दारिद्रय एवं चिंताएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं। त्रैलोक्य माला को प्रत्येक साधक को अवश्य ही धारण किये रहना चाहिये, जो हमें दुःख, दरिद्रता एवं दुर्भाग्य से बचाए रखती है। माला के निर्माण में प्रत्येक मनके पर पारद षोडश संस्कार सम्पन्न किये जाते हैं इस कारण शक्ति से सम्बन्धित, तंत्र अर्थात् शिव सम्बन्धित कोई भी साधना इस माला से सम्पन्न करने पर शीघ्र फल प्राप्त होता है।
इसके पहनने से दरिद्रता का नाश होता है तथा श्रेष्ठ एवं आकस्मिक धन-लाभ होने की संभावना बढ़ती है, शरीर के समस्त रोग, स्वतः ही धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और व्यक्ति स्वस्थ, निरोग, सौन्दर्यशाली बनता है। इसको पहनने से आंखों की ज्योति बढ़ती है तथा मस्तिष्क क्रियाशील होता है। व्यापार में तथा राज्य कार्यों में विशेष सफलता प्राप्त होती है। इसके धारण करने से व्यक्ति का पौरूष तथा व्यक्तित्व अपने आप में बढ़ता है और उसमें अत्यधिक जोश, साहस, हिम्मत एवं आत्मविश्वास की भावना बढ़ जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस माला को धारण करने के बाद व्यक्ति समस्त कार्यों में सफलता पाने लगता है। जिसकी भी नजर ऐसी माला पर पड़ती है, वह उसके वश में होकर उसके अनुकूल कार्य करने लग जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि माला को नियमित रूप से पहने रहें और विश्वास के साथ इस माला को धारण करते हुए साधना में अनुरक्त रहें।
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