मात्र स्तोत्र पाठ से ही जीवन में कई प्रकार की अनुकूलताएं प्राप्त हो जाती है।
देवराज इन्द्र भी जिनके पावन चरण कमल की पूजा करते हैं, सर्प यज्ञोपवीत धारण किए हुए, चन्द्रमा जिनके मस्तक पर विराजमान है, अपने भक्तों पर कृपा करने वाले नारद आदि योगी, ऋषि, मुनि भी जिनकी वन्दना करते हैं। दिशाएं जिनकी वस्त्र हैं, समस्त दुःखों को दूर करने वाले भक्तवत्सल भगवान काल भैरव की मैं वन्दना करता हूं।
कोटि सूर्य के समान तेज युक्त संसार सागर से अपने आराधकों को पार करने वाले, कृष्ण वर्ण से युक्त नीलकण्ठ कहलाने वाले, भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले, तीन नेत्रों वाले, यमराज पर भी शासन करने वाले, विनाश रहित, अक्षमाला तथा त्रिशूल धारण किए हुए भगवान काल भैरव का मैं ध्यान करता हूं।
अपने हाथों में त्रिशूल, पाश तथा दण्ड धारण किए हुए, संसार के आदि कारण, कृष्ण रंग वाले, देवाधिदेव, सनातन स्वरूप, मायारहित, विक्रमशील, नृत्य में रूचि रखने वाले को मैं पुनः पुनः नमन करता हूं। अपने आराधकों को भोग और मोक्ष देने वाले, श्रेष्ठ तथा मनोहर देहधारी, भक्तों पर अनुग्रह करने वाले, सभी लोकों में विचरण करने वाले, मधुर ध्वनि करने वाले, स्वर्ण निर्मित करधनी से जिनका कटिभाग शोभायमान है, ऐसे भगवान की मैं आराधना करता हूं।
धार्मिक मर्यादा-पालन करने वाले, अधर्म का नाश करने वाले, जीवो को कर्म बन्धन से विमुक्त करके कल्याण प्रदान करने वाले, ब्रह्म रूप में सर्वत्र व्याप्त, जिनकी सम्पूर्ण देहयष्टि पूरे रंग के सर्पो से शोभायमान है, ऐसे भगवान काल भैरव की मैं आराधना करता हूं। रत्न निर्मित पादुकाओं की प्रभा से सुशोभित चरण वाले नित्य, अद्वितीय, अनन्त भक्तों द्वारा इष्ट के रूप में उपास्य तथा माया के बन्धन से रहित, यमराज के दर्प का भी नाश करने वाले, भयावह विघ्नों का नाश करने वाले, देवाधिदेव को नमन अर्पित करता हूं।
अपने सुखद अट्टहास से समस्त जड़ता को दूर करने वाले, भक्तों के पापों को दृष्टि मात्र से नष्ट करके, उचित मर्यादाओं को स्थापित करने वाले, अणिमादि अष्ट सिद्धि देने वाले, जिनके कन्धों पर सुन्दर जटाएं, सुशोभित है, ऐसे भगवान काल भैरव को नमन करता हूं। जो समस्त भूत-पिशाच आदि अप योनियों के नायक हैं, दर्शनीय हैं, जो ज्ञान तथा मुक्ति प्रदान करने वाले हैं, पुण्यों को देने वाले, शास्त्रीय मर्यादाओं के आधारभूत, समस्त संसार के एकमात्र अधिपति हैं, उन सत्य स्वरूप भगवान भैरव का मैं अभिवादन करता हूं।
जो साधक को ज्ञान तथा मुक्ति साधन प्रदान करने वाले, शोक, मोह-दैन्य, लोभ, कोप तथा पाप-ताप को नष्ट करने वाले, काल भैरव के दस सुन्दरतम, पुण्यदायक अष्टक का पाठ करते हैं, वे निश्चय ही भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करते ही हैं।
इस स्तोत्र को सिद्ध करने की विधि इस प्रकार है। किसी भी आमावस्या या कृष्ण पक्ष के किसी भी रविवार से यह प्रयोग 21 दिन तक नित्य रात्रि में सम्पन्न करें। काल भैरव का कागज निर्मित चित्र को लकड़ी के एक छोटे से टुकडे़ पर चिपका दें। इसे काल भैरव के प्रतीक रूप में स्थापित कर दें। सिन्दूर से उस पर क्रमशः आठ स्थानों पर तिलक करें। ललाट, कण्ठ, हृदय, नाभि, दोनों पैर। इसके बाद भैरव को धूप, दीप, अक्षत, कुंकुंम, पुष्पादि से ‘ऊँ भं काल भैरवाय नमः’ बोलते हुए पूजन करें। भैरव को गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद दाएं हाथ में जल लेकर उस पर भैरव लाकेट को रखकर अपना चिन्ताजनक मानसिक कलेश या द्वन्द्व जो भी आपको उद्वेलित कर रहा हूं, उसके समाधान के लिए भैरव से प्रार्थना करें। इसके बाद भैरव लाकेट धारण कर 21 दिन तक नित्य इस स्तोत्र का 11 पाठ करें। पाठ के पूर्व गुरू पूजन कर लें।
काल भैरव भगवान शिव के ही एक स्वरूप हैं, जो सरल हृदय से किए गए मात्र स्तोत्र पाठ से ही प्रसन्न होने वाले हैं। काल भैरव अपने साधक को किसी भी विषम परिस्थिति अथवा कष्ट में देख नहीं सकते और स्वतः ही उसकी सहायता हेतु तत्पर हो जाते हैं। काल भैरव की साधना के विविध आयाम हैं, परन्तु उपरोक्त स्तोत्र की विशेषता हर प्रकार के द्वन्द्वों से मुक्ति के लिए है। व्यक्ति जीवन में कई बार ऐसी स्थिति में उलझ जाता है और निर्णय नहीं कर पाता है कि उसे क्या करना चाहिए। ये प्रश्न व्यक्ति के परिवारिक जीवन से सम्बन्धित हो सकते हैं, व्यवासायिक अथवा साधनात्मक जीवन के किसी पक्ष से सम्बन्धित हो सकते हैं। समय पर समाधान न मिलने पर ये प्रश्न तनाव और भटकन पैदा कर देते हैं। इस स्तोत्र साधना से साधक को अपने द्वन्द्व का समाधान प्राप्त होता है।
भैरव ही भय का विनाश करते है। तंत्र साधनाओं का आधार हैं। जिसे सम्पन्न करने से अन्य साधनाएं सरल रूप से सिद्ध हो जाती हैं। भैरव साधना से जीवन की आपत्तियां, बाधाएं नष्ट होने लगती हैं। इसीलिए भैरव को आपत्ति उद्धारक देव कहा गया है। श्री भैरव देव, भगवान शिव के अंश से उद्भूत होने के कारण उन्हीं के समान सरल व सौम्य है। और शीघ्र ही प्रसन्न हो कर रक्षा करते हैं। ‘भैरव की साधना’ जीवन में जहां एक और दरिद्रता का नाश, अभावों की पूर्ति करती है, वहीं जीवन की व्याधियां, कष्ट, पीड़ा, और शत्रुओं से रक्षा भी करती है।
त्रिवेणी संगम के पावन भूमि पर 04-05 जुलाई को महारूद्र धनलक्ष्मी त्रिवेणी शक्ति साधना शिविर सम्पन्न होगा। जहां पर हवन, रुद्राभिषेक के साथ धन लक्ष्मी व अष्टसिद्धि नवनिधि शक्तियों से युक्त होने के लिये पूज्य गुरूदेव प्रत्येक साधक-साधिका के जिव्हा पर बीज मंत्रों से अंकन कर उनके जीवन को आनन्द, प्रेम से आप्लावित करेंगे।
It is mandatory to obtain Guru Diksha from Revered Gurudev before performing any Sadhana or taking any other Diksha. Please contact Kailash Siddhashram, Jodhpur through Email , Whatsapp, Phone or Submit Request to obtain consecrated-energized and mantra-sanctified Sadhana material and further guidance,