माणिक धारण करने पर सूर्य ग्रह से सम्बन्धित सभी दोष समाप्त होते हैं। माणिक धारण करने से व्यक्ति तेजस्वी, प्रतापी, प्रभावशाली बनता है। सुख-सम्पत्ति, ऐश्वर्य, सौभाग्य, यश की वृद्धि होती है। यह वंश वृद्धि कारक रत्न है, इसके धारण करने पर भय, व्याधि, दुःख, क्लेश, चिन्ता आदि समाप्त होते हैं। दैविक शक्ति प्राप्ति होती है तथा नेत्र विकार समाप्त होते हैं।
कर्क राशि वालो को व चन्द्रमा निर्बल होने पर मोती धारण करने से क्रोध शांत होता है तथा मानसिक शांति मिलती है। जिनके जीवन में अनिश्चितता व विपरीत परिस्थितियां बनी रहती हैं, ऐसे व्यक्ति को मोती धारण करना चाहिये। यह ज्ञानवर्द्धक व धन प्रदाता रत्न है। यह निर्बलता को दूर कर तेज, ओज का विकास करता है। मोती स्त्रियों के लिये पेट सम्बन्धित कष्ट दूर होने में सहायक है।
मूंगा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह के सभी दोष समाप्त होते हैं। मूंगा मेष और वृश्चिक राशि वालों का भाग्योदय करता है। व्यापार, नौकरी, आर्थिक पूर्णता में सहायक और मान-सम्मान में वृद्धि के साथ ही शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। जिनका जीवन शत्रुओं से त्रस्त हो उन्हें विशेष लाभ होता है। भूत-प्रेत आदि का भय नहीं रहता है।
पन्ना धारण करने से बुध ग्रह के सभी दोष समाप्त होते हैं। पन्ना से वैवाहिक जीवन में मधुरता, सन्तान सुख तथा धन वृद्धि होता है। जिनकी राशि मिथुन अथवा कन्या हो उनके लिये पन्ना विशेष शुभदायक है। यदि विद्यार्थी पन्ना धारण करें तो उनकी बुद्धि तीक्ष्ण व एकाग्रचित होती है। पन्ना धारित के प्रति कोई भी षड़यंत्र सफल नहीं होता है, शरीर और वीर्य में वृद्धि होती है।
यह गुरु ग्रह का प्रतिनिधि रत्न है। पुखराज धारण करने पर बल, बुद्धि, आयु, स्वास्थ्य, यश, कीर्ति व मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। यह उच्चतम शिक्षा का प्रतीक है। शीघ्र विवाह, श्रेष्ठ वर, पति-पत्नी के मध्य मधुरता के साथ ही यह रत्न श्रेष्ठ सफल गृहस्थ जीवन में सहायक है। यह रत्न दीर्घायु जीवन प्रदान करता है। परिवार, कुटुम्ब तथा समाज में मान-सम्मान गौरव को बढ़ाता है।
जिस व्यक्ति का शुक्र ग्रह निर्बल है और जिनकी राशि वृष या तुला है, वह हीरा धारण कर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता है। हीरा धारण करने से सम्मोहन, तेजस्विता व आकर्षण की वृद्धि होती है। यह व्यक्ति के शारीरिक विवशताओं को दूर कर धन-धान्य, समृद्धि, सम्पन्नता से परिपूर्ण करता है। हीरा धारण करने पर जादू-टोने, तंत्र बंधन का असर नहीं होता है।
इस रत्न से शनि की ढैय्या, साढ़े साती की समाप्ति होती है। मकर तथा कुम्भ राशि वालों में यह रत्न शीघ्र प्रभाव दिखाता है। यह रत्न धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति, मान-सम्मान, यश-गौरव, आयु वृद्धि, बल तथा वंश वृद्धि के साथ नेत्र ज्योति बढ़ाता है। नीलम जमीन, भवन की पूर्णता और खोयी सम्पत्ति दिलाता है। ट्रांसपोर्टर, प्रशासनिक कर्मचारी, व्यापार नौकरी में विशेष फलप्रद है।
गोमेद धारण करने से राहु ग्रह का वक्री व उसके अनिष्ट प्रभाव समाप्त होते हैं। राहु ग्रह के प्रकोप से छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आता है, मानसिक तनाव बढ़ता है। योजनाये असफल, व्यापार में हानि, परिवार में कलह होता है। ऐसे लोगों को गोमेद धारण करना चाहिये। गोमेद धारण करने पर शत्रु पर विजय प्राप्त होती है। कोर्ट-कचहरी, मुकदमों में सफलता मिलती है।
दानव ग्रह केतु के अनिष्टों को यह रत्न समाप्त करता है। राहु, शनि, केतु तीनों के दशा में यह रत्न प्रभावी है। यह रत्न दिमागी परेशानियों, दुख, दुर्बलता, निर्धनता, आकस्मिक दुर्घटना, गुप्त शत्रु, भूत-प्रेत आदि बाधाओं से निजात दिलाता है। इसे धारण करने से दुस्वप्न नहीं आते। इस रत्न से सरकारी कार्यो में सफलता, सम्पत्ति, पराक्रम, तेज, आनन्द व पुत्र की प्राप्ति होती है।
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