सांसारिक जीवन की अधिकांश सफलतायें, सुख, समृद्धि, उच्चता, श्रेष्ठता आदि सम्मोहन शक्ति पर निर्भर होती है। सांसारिक जीवन में सम्मोहन के द्वारा ही अपना सामाजिक, पारिवारिक वर्चस्व स्थापित किया जा सकता है। सम्मोहन तत्व जीवन का वह आधार स्तम्भ है, जिसके आधार पर व्यक्ति उन्नति- प्रगति की नींव स्थापित करने में सफल होता है।
सम्मोहन जीवन की विशिष्ट शैली और कला है, अपने आप में ताजगी भरने की। इसके द्वारा व्यक्तित्व में आकर्षण, सम्मोहन, चुम्बकत्व जैसे गुण तो आते ही हैं, साथ ही यह आन्तरिक रूप से भी उमंग, उत्साह और शीतलता देने का ऐसा सफल प्रयास है, कि फिर व्यक्ति की शक्तियां गुणात्मक रूप से बढ़ने लगती हैं।
जो साधनात्मक चेतना द्वारा अपने अन्दर सम्मोहन शक्ति या चुम्बकीय शक्ति जाग्रत करने का प्रक्रियात्मक उपाय कर लेते हैं, वे अवनति से उन्नति की ओर, अधोगति से ऊर्ध्वगति की ओर बढ़ने लगते हैं और जीवन में उन्नति-प्रगति के द्वारा ही योग-भोगमय स्थितियों का निर्माण होता है।
योग-भोग प्रदायक सम्मोनह माला धारण कर साधक अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली चेतना से आप्लावित कर सकेंगे। साथ ही इसके द्वारा उनके जीवन में सुस्थितियों का विस्तार निरन्तर हो सकेगा, जिससे वे अपने जीवन को प्रसन्नता, उमंग, उत्साह, जोश, ऊर्जा से आप्लावित कर सर्व सुख-भोग विलास युक्त जीवन का पूर्ण आनन्द प्राप्त कर सकेंगे।
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