अन्नपूर्णा मात्र अन्न व खाद्य पदार्थ प्राप्ति की ही देवी नहीं है, वह अन्न, वस्त्र, धन की पूर्णता के साथ ही हमारे जीवन में सुख, सौभाग्य, शांति, ऐश्वर्य, यश, समृद्धि आदि सुस्थितियों में वृद्धि की देवी है। अन्नपूर्णा देवी को जिस प्रकार अन्न की देवी माना जाता है, उसी अन्न के ग्रहण करने से हमारे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और हमारी मानसिक और शरीरिक वृद्धि होती है।
अन्नपूर्णा देवी की कृपा-दृष्टि के अभाव में व्यक्ति का जीवन कुस्थितियों व कुसंस्कारों से घिरा रहता है, परिवार में निरन्तर क्लेश, अशांति, तनाव, कुविचार, कुसंस्कारी संतान, दरिद्रता आदि नारकीय स्थितियों का विस्तार होने लगता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य सभी प्रयास करने के पश्चात् भी कोई सुधार ना होने पर परेशान होकर अपने कर्तव्यों का पालन सही तरह से नहीं कर पाता, जिससे वह आध्यात्मिक व भौतिक उन्नति प्राप्त करने में असमर्थ होता है।
अतः अपने जीवन में नारकीय स्थितियों को समाप्त करने व निरन्तर आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति प्राप्त करने हेतु यह तेजस्वी अन्नपूर्णा कवच धारण करना अति आवश्यक हो जाता है। इस चैतन्य कवच को धारण करने वाला व्यक्ति तीनों लोकों में वैभव का अधिकारी होता है।
उसके जीवन में सुस्थितियों व सुसंस्कारों का विस्तार होता है। जिससे वह अपने जीवन में निरन्तर क्रियाशील रहते हुये अपने कर्तव्यों का पूर्ण रूप से पालन करने में सक्षम होता है। इस दिव्य कवच को जो भी व्यक्ति धारण करता है वह निरन्तर ऊर्जावान, बलवान, सुसंस्कारी, बुद्धिमान, कर्मशील रहता है।
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