शनि चिंतन प्रदान ग्रह है। इस कारण हर व्यक्ति शनि से डरता है और शनि बाधा का उपाय ढूंढता है। वास्तव में बलवान शनि मनुष्य को विपत्ति में भी लड़ने की क्षमता और ऐसे गुणों का विकास करता है जिससे व्यक्ति दूसरों पर हावी रह सकता है। प्रत्येक देव सिद्धि के साथ शनि को भी अनुकूल किया जा सकता है। वैसे विपरीत शनि होने पर मनुष्य उन्माद, रोग, अकारण क्रोध, वात रोग, स्नायु रोग इत्यादि से ग्रसित हो सकता है। शनि जीवन में आकस्मिकता की स्थिति लाता है ओर जीवन में जितनी भी अकस्मात् घटनाएं होती है चाहे वे अच्छे फल की तरफ हो अथवा बुरे फल की ओर, उनका मूल कारक शनि ही है। शनि की पूजा जप साधना और मंत्र द्वारा इसे तीव्रता से अनुकूल बनाया जा सकता है। और तब शनि ग्रह व्यक्ति को रंक से राजा बना देता है। जितने भी राजनीति में उच्च स्थान पर पहुंचते हैं उनका शनि प्रबल होता है। परिवार में भी शनि प्रधान व्यक्ति का वर्चस्व रहता हे।
साधना के लाभ
चिन्तन कारक ग्रह होने से यह व्यक्तित्व में सदैव चिंता प्रदान करता है। लेकिन शनि साधना से अकाल मृत्यु दोष दूर होता है।
इसके अलावा शनि साधना से धन हानि, कर्जा, मुकदमा, शत्रुता में भी विजय प्राप्त होती है।
शनि साधना में मशीनी व्यापार, लोहे का व्यापार अथवा काले रंग की वस्तु के व्यापार में विशेष सफलता प्राप्त होती है।
शनि व्यक्ति में उन्माद पैदा करता है और इसकी साधना से स्नायु रोग, अकारण क्रोध, वात-रोग शांत होते हैं।
शनि साधना से व्यक्ति की जान-पहचान उच्च स्तरीय लोगों से होकर उन पर वह प्रभुत्व स्थापित करता है। साथ ही यह नेतृत्व का विकास करता है।
अकस्मात् होने वाली हानि से भी शनि साधना से ही रक्षा होती है।
शनिवार की रात्रि को 9 बजे के बाद साधक काले वस्त्र धारण कर काले रंग के आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जाएं। इसके पश्चात् साधक ‘ शनि साफल्य माला ‘ को अपने सामने रख कर विनियोग ध्यान करें-
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