शिष्य धर्म शतायुवदेव दीक्षा स्वरूपं भवतां क्रियेव देव्यम सदेहं गुरोर्वतां पूर्ण मदैव तुल्यं श्रद्धा सतां ज्ञान वदोपितुल्यं गोविदपादाचार्य का यह श्लोक बताता है कि शिष्य […]
जगद्गुरु नारायण स्वरूप श्री कृष्ण कृष्णं वंदे जगद् गुरुं भगवान श्रीकृष्ण ने पूर्ण पुरुष और महामानव के रूप में धर्म पालन, अध्यात्म विचार, ज्ञान-विज्ञान, मैत्री, […]
ज्ञानचक्षु जागरण क्रिया मानव और प्रकृति- क्या सम्बन्ध है इन दोनों के बीच? क्या प्रकृति का मानव जीवन पर कोई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव है? इस प्रकार के […]
अमरतत्व ज्योर्तिलिंग वसुधैव कुंटुम्बं शिवमेपपरमं अमृतत्वंस्वंभू ध्यानं परेण्यं शिवोऽहं वरण्येमेव शरण्यम् त्वमेवं शरण्यम् त्वमेवं महर्षि शुकदेव के इस श्लोक का अर्थ चिन्तन समावेश है। महर्षि […]